विधानसभा में ब्रजेश पाठक की टिप्पणी पर सपा सदस्यों का हंगामा,जमकर की नारेबाजी

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स्टार एक्सप्रेस संवाददाता

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन शुक्रवार को राज्य की मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने स्वास्थ्य विभाग की बदहाली के मुदे पर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक द्धारा की गई एक टिप्पणी के विरोध में अध्यक्ष के आसन के सामने (वेल में) आकर जमकर नारेबाज की सपा के सदस्यों ने स्वास्थ्य महकमा संभाल रहे उपमुख्यमंत्री के विरोध में नारे भी लगाये।

विधानसभा में प्रशनकाल के बाद समाजवादी पार्टी (सपा)के वरिष्ठ सदस्य शिवपाल सिंह यादव ने नियम—56 के तहत स्वास्थ्य विभाग का मामला उठाते हुए कहा कि उप्र की स्वास्थ्य व्यवस्था खराब हालत में हैं और स्वास्थ्य महकमा वेंटिलेटर पर हैं। यादव के जावब में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने समाजवादियों पर निशाना साधते हुए अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि समाजवाद से इनका कोई लेना देना नहीं हैं,ये नकली समाजवादी हैं, ये ढोगी समाजवादी हैं ये अराजकता फैलाते हैं।

पाठक के इतना कहते ही सपा सदस्य नारेबाजी करते हुए वेल (अध्यक्ष के आसान के सामने)में आ गये और उपमुख्यमंत्री और सरकार के विरोध में नारे लगाने लगे। इस बीच उपमुख्मंत्री ने भी सपा के खिलाफ बोलने जारी रखा। हंगामा बढ़ाते देख विधानसभा अध्यक्ष सतोश महाना ने उप मुख्यमंत्री को बोलने से रोकते हुए बैठने का अनुरोध किया तो वह (पाठक )अपनी सीट पर बैठ गये। इसके बाद भी कुछ देर तक सपा सदस्य नारेबाजी करते रहे।

अध्यक्ष ने चेतावनी के साथ वरिष्ठ सदस्यों से अनुरोध किया तो सपा सदस्य अपनी सीट पर वापस लौट आये। इसके पहले उपने संबोधन की शुरूआत में ​ही शिवपाल यादव ने उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक् पर तंज कसते हुए कहा कि ये पहले कांग्रेस में थें,फिर बहुजन समाज पार्टी से लोकसभा सदस्य और राज्यसभा सदस्य बने और फिर भाजपा में आकर उपमुख्यमंत्री हो गये। यादव ने बृ​हस्पतिवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान समाजवादियों पर पाठक द्धारा की गयी टिप्पणी का उलेख करते हुए कहा कि भाजपा के लोगों आप अटल बिहारी वाजपेयी और दीनदायल उपाध्याय के आदर्शों पर चलना सीखो,उन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। यादव ने पाठक को छापामार मंत्री करार देते हुए कहा कि कोई इनकी सुनता नहीं हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग का पूरा बजट खर्च हो गया होता तो बहुत सी समस्या हल हो गयी होती। बृहस्पतिवार को पाठक ने कहा था समाजवाद की परंपरा को जिन लोगों ने आगे बढ़ाया वे दुनिया छोडकर गये तो उनके पास एक फटी धोती भी नहीं थी।

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