HC ने UP धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं की खारिज

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल  : अध्यादेश के एक्ट बन जाने के बाद अध्यादेश को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी।

 

 

 

प्रयागराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट ने अध्यादेश के कानून बन जाने के आधार पर याचिकाएं खारिज की हैं। कोर्ट ने धर्मांतरण कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अदालत में सरकार की ओर से पक्ष रखा। धर्मांतरण अध्यादेश को चार अलग-अलग याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। जस्टिस एम एन भंडारी और जस्टिस अजय त्यागी की खंडपीठ ने ये आदेश दिया।

 

 

 

यूपी में धर्मांतरण अध्यादेश नवंबर 2020 में लाया गया मगर सरकार ने इसे मार्च 21 में गजट में प्रकाशित किया। चार मार्च 21 को राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद यह प्रदेश में लागू हुआ। यूपी की योगी सरकार पिछले साल 27 नवम्बर को मनमाने तरीके से हो रहे धर्मांतरण को रोकने के लिए जो अध्यादेश लेकर आई थी, उसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में कई अर्जियां दाखिल की गई थीं। इन अर्जियों पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यूपी सरकार से जवाब तलब किया था। सरकार ने जनवरी के पहले हफ्ते में ही अपना जवाब भी दाखिल कर दिया था। दोनों सदनों से बिल पास होने और गवर्नर की मंजूरी मिलने के बाद इसने कानून की शक्ल ली।

 

 

 

 

योगी सरकार झूठ बोलकर, झांसा देकर या छल-प्रपंच कर धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए यह अध्यादेश लाई। इसके लागू होने के बाद झांसा देकर, झूठ बोलकर या छल-प्रपंच करके धर्म परिवर्तन करने-कराने वालों के साथ सरकार सख्ती से पेश आएगी।

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