नर्सों की नियुक्ति को लेकर नियमावली बनाएगी सरकार

लखनऊ ()। यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन शिक्षामित्रों का समायोजन रद होने के बाद फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। उन्होंने नर्सों की नियुक्ति को लेकर मंगलवार को एनेक्शी अपने कार्यालय के सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक की और नियमावली में संशोधन को लेकर निर्देश दिए हैं।
शिक्षामित्र के समायोजन को कोर्ट से चुनौती मिलने के बाद यूपी के मुख्य सचिव आलोक रंजन की हालत खस्ता हो गई है। वह मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देश दे रहे थे। उन्होंने कहा कि नर्सों की कमी को देखते हुए खाली पदों को भरने के लिए सेवा नियमावली में परिवर्तन किये जाने काम समय से सुनिश्चित कराकर सक्षम स्तर से अनुमोदन प्राप्त किया जाये, जिससे बाद में कोई अड़चन न आए।
मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बैठक में प्रमुख सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य सहित स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अस्पतालों का निरीक्षण कर प्रत्येक दशा में यह सुनिश्चित करायें कि प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही चिकित्सा सुविधायें आम नागरिकों को प्रत्येक दशा में प्राप्त हों। उन्होंने कहा कि प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य को गोरखपुर एवं सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अलग-अलग जनपदों में जाकर अस्पतालों का निरीक्षण कर रिपोर्ट देनी होगी। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वरिष्ठ अधिकारियों को निरीक्षण हेतु आवंटित जनपदों की सूची तत्काल उपलब्ध कराते हुए निरीक्षणोपरान्त निरीक्षण आख्या भी उपलब्ध करानी होगी। उन्होंने कहा कि निरीक्षण के दौरान अस्पतालों में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने एवं सफाई आदि की व्यवस्था को अवश्य संज्ञान में लिया जाये। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि किसी भी अस्पताल में मरीजों के इलाज की सुविधा न मिलने पर सम्बन्धित चिकित्सकों को चिन्हित कर दण्डित किया जाये। इसी प्रकार प्रत्येक जिलाधिकारियों को प्रत्येक माह में कम से कम एक अस्पताल का निरीक्षण कर निरीक्षण आख्या भेजनी होगी। उन्होंने कहा कि मरीजों को अस्पतालों में गाइड कर आवश्यकतानुसार निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने हेतु शिक्षित मैनेजरों की तैनाती भी करने पर विचार किया जाये।
अस्पतालों में इलाज हेतु उपकरणों की मरम्मत भी निर्धारित अवधि में अवश्य कराया जाए इसको लेकर मुख्य सचिव ने कहा है कि लापरवाही पर फौरन कार्रवाई होगी। प्रदेश के 17 जनपदों में निर्माणाधीन रोगी आश्रय स्थलों का निर्माण निर्धारित अवधि में गुणवत्ता के साथ पूर्ण कराया जाये ताकि रोगियों के साथ आने वाले तीमारदारों को ठहरने में कोई असुविधा न होने पाये।
जेई वैक्सीन की नहीं है कमी
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरविन्द कुमार ने बैठक में बताया कि वर्ष 2015-16 में पिछले माह जुलाई तक प्रदेश के 37 जिलों में कुल 709282 बच्चों को नियमित टीकाकरण जेई वैक्सीन का गया है। वर्तमान में प्रदेश में जेई टीकाकरण हेतु लखनऊ डिपों पर 4.14 लाख, वाराणसी डिपों पर 3.35 लाख एवं गोरखपुर डिपो 1.12 लाख जेई वैक्सीन उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि जनपद गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया, बस्ती, सिद्धार्थनगर एवं सन्तकबीरनगर के कुल 36 ब्लाकों में 15 से 65 वर्ष तक की आयु वर्ग तक के व्यक्तियों का जेई टीकाकरण माह अक्टूबर, 2015 तक कराये जाने हेतु 47 लाख वैक्सीन डोज उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि विगत 2014 की तुलना में वर्ष 2015 में विगत नौ सितम्बर तक मस्तिष्क ज्वर (एईएस) रोग के रोगियों एवं इसके कारण हुई मृत्यु की संख्या में कमी आई है। उन्होंने बताया कि रोग मृत्यु दर विगत वर्ष 19.80 फीसदी के सापेक्ष मात्र 13.32 फीसदी रही है जो जनपद स्तर पर उपलब्ध कराई जा रही त्वरित एवं समुचित उपचार व्यवस्था के कारण संभव हुआ है।

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