आंवला नवमी की पावन व्रत कथा सुनने के लिये पढ़े पूरी खबर, भगवान विष्णु होंगे प्रसन्न
आंवला नवमी का दिन शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए अति उत्तम माना गया है। इस दिन व्रत कथा को पढ़ना व सुनना अति उत्तम माना गया है।
स्टार एक्सप्रेस
डेस्क. कार्तिक मास का हिंदू धर्म में खास महत्व है। इस महीने कई व्रत एवं त्योहार आते हैं। जिसमें दिवाली के बाद आने वाली आंवला नवमी व्रत का विशेष महत्व है। आंवला नवमी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाई जाती है। इस खास दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। स्वस्थ रहने की कामना के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवला नवमी में आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा अर्चना कर ही भोजन किया जाता है. इस दिन आंवला को प्रसाद के रूप में भी खाया जाता है। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन व्रत कथा पढ़ने या सुनने से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
आंवला नवमी 2022 कब है?
इस साल आंवला नवमी 2 नवंबर, बुधवार को है। आंवला नवमी को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन किए गए कार्य को शुभ और अटूट माना जाता है।
आंवला नवमी व्रत कथा-
आंवला नवमी कई फल देने वाली है। इस दिन ब्राह्मणों को आंवले के पेड़ के नीचे खाना खिलाना शुभ माना जाता है और पहले उन्हें सोने का दान दिया जाता था। एक बार व्यापारियों ने इस दिन ब्राह्मणों को सम्मान दिया, तो उनके पुत्रों को यह सब पसंद नहीं आया, इसलिए उन्होंने अपने पिता के साथ युद्ध किया। झगड़े से परेशान कारोबारी घर छोड़कर दूसरे गांव चले गए। उन्होंने वहां रहने के लिए एक दुकान स्थापित की। यहां उन्होंने दुकान के सामने आंवला का पेड़ लगाया। भगवान प्रसन्न हुए और उनकी दुकान को बहुत लाभ होने लगा।
वही खास बात यह थी कि परिवार से दूर रहते हुए भी उन्होंने यहां आंवला नवमी की पूजा कर ब्राह्मणों को अन्नदान करना शुरू कर दिया था। वहीं दूसरी ओर बेटों का धंधा पूरी तरह ठप हो गया और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ। वह समझ गया कि हमने अपने पिता के भाग्य से खाया है। तब बेटा अपने पिता के पास गया और अपनी गलती के लिए माफी मांगी। फिर अपने पिता के कहने पर उन्होंने आंवले के पेड़ की भी पूजा की, जिससे उन्हें अपने घर में पहले जैसा ही सुख मिलता था।