भारत और रूस समुद्री रूट के जरिए व्यापारिक संबंधों को मजबूत करेंगे, होगा बड़ा फायदा

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

दिल्ली । भारत और रूस अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं । अब दोनों मित्र देश मिलकर आर्कटिक से गुजरने वाले उत्तरी समुद्री शिपिंग रूट (Northern Sea Route) के इस्तेमाल का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं।  भारत और रूस मिलकर यूरोप और पूर्वी एशिया के सबसे छोटे शिपिंग मार्ग उत्तरी समुद्री रूट को विकसित करने पर बातचीत कर रहे हैं।

इस रूट के विकास से भारत और रूस के बीच शिपिंग लागत में बहुत कमी आएगी। इस रूट में बर्फ जमने से सालभर इसका इस्तेमाल नहीं हो पाता था लेकिन ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ की समस्या बेहद कम हो गई है और रूस चाहता है कि सालभर इस रूट का इस्तेमाल करे।

भारत और रूस अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। अब दोनों मित्र देश मिलकर आर्कटिक से गुजरने वाले उत्तरी समुद्री शिपिंग रूट के इस्तेमाल का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं। रूस की इंटरफैक्स एजेंसी ने बुधवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इस विस्तार में प्रसंस्करण सुविधाओं का निर्माण शामिल हो सकता है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, रिपोर्ट में बताया गया कि रूस के मंत्री एलेक्सी चेकुनकोव भारत का दौरा कर रहे हैं और भारतीय अधिकारियों के साथ उनकी बातचीत में रूसी और भारतीय बंदरगाहों का उपयोग करके उत्तरी समुद्री मार्ग के माध्यम से माल का ‘विश्वसनीय और सुरक्षित’ परिवहन एक महत्वपूर्ण मुद्दा था।

समाचार एजेंसी ने चेकुनकोव के एक बयान के हवाले से कहा, ‘हमने यह नोट किया था कि व्लादिवोस्तोक (रूस का सबसे बड़ा बंदरगाह शहर) से भारत में एक कंटेनर पहुंचाने की लागत मास्को से एक कंटेनर की शिपिंग की लागत से एक तिहाई कम है।

 रूस उत्तरी समुद्री रूट को मुख्य शिपिंग लेन बनाना चाहता है

रूस उत्तरी समुद्री रूट को अपना मुख्य शिपिंग लेन बनाना चाहता है और उसने यहां इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए काफी निवेश किया है। यह मार्ग रूस की उत्तरी तट रेखा से गुजरता है और पूर्वी एशिया और यूरोप के बीच सबसे छोटा शिपिंग मार्ग है।

रूस सर्दियों में इस समुद्री रूट का इस्तेमाल नहीं कर पाता क्योंकि आर्कटिक से गुजरने के कारण यहां बर्फ की मोटी परत जम जाती है। हालांकि, ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है और समुद्री रास्ते में भी बर्फ की समस्या कम हो रही है। इसे देखते हुए रूस इस साल के अंत तक इस रूट से साल भर शिपिंग शुरू करने की योजना बना रहा है।

यूक्रेन आक्रमण के बाद बढ़ा है भारत-रूस का व्यापार

भारत ने अब तक यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा नहीं की है। खासकर तेल के मामले में इसी हफ्ते मंगलवार को रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा कि भारत को निर्यात होने वाले रूसी तेल में पिछले साल की तुलना में 22 गुना बढ़ोतरी हुई है।

भारत जो युद्ध से पहले रूस से बेहद कम मात्रा में तेल आयात करता है, अब उसका शीर्ष तेल आयातक बन गया है। अप्रैल से दिसंबर 2022 के दौरान भारत ने दुनिया भर के तेल उत्पादक देशों से कुल 1.27 अरब बैरल तेल खरीदा था। इसमें से लगभग 19 प्रतिशत तेल रूस से आयात किया गया था।

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