कोरोना वायरस के बाद अब एडिनोवायरस का बड़ा कहर

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

दिल्ली कोलकता:  पश्चिम बंगाल में फैला एडिनोवायरस  में अब तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है। माना जा रहा है कि ये मौतें एडिनोवायरस से हुईं हैं। हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारी का कहना है। कि इस मौसम में ये बीमारी आम है। ऐसे में जानना जरूरी है कि ये एडिनोवायरस क्या है? इससे कैसे बचा जा सकता है?

कोरोना वायरस के बाद अब एक और वायरस पैर पसार रहा है। इसका नाम एडिनोवायरस है  ये वायरस फिलहाल पश्चिम बंगाल में तेजी से फैल रहा है एडिनोवायरस की चपेट में छोटे बच्चे आ रहे हैं।

आंकड़ों के मुताबिक पश्चिम बंगाल में एडिनोवायरस की वजह से अब तक 12 बच्चों की मौत हो चुकी है इनमें से आठ ऐसे थे जो पहले से किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे थे।

प्रशासन ने पिछले 24 घंटों में हुई मौतों को एडिनोवायरस डेथ नहीं माना है। उनका कहना है कि इस मौसम में ये संक्रमण एक्यूटरेस्पिरेटरी इन्फेक्शन आम है। प्रशासन ने बताया कि किसी भी स्थिति से निपटने की तैयारी कर रखी है। 600 बाल रोग विशेषज्ञों के साथ 121 अस्पतालों में पांच हजार बेड तैयार रखे हैं।

सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है

राज्य सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि बीते एक महीने में एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (ARI) के 5,213 मामले सामने आए हैं। ARI एक मौसमी समस्या है। इस साल मामले इसलिए ज्यादा सामने आ रहे हैं क्योंकि बीते दो साल में कोविड के कारण ये पकड़ में नहीं आ सका था।  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को इमरजेंसी मीटिंग में बुलाई थी सरकार ने एक इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर- 1800-313444-222 भी जारी किया है।

एडिनोवायरस है क्या?

एडिनोवायरस इन्फेक्शन एक वायरल बीमारी है जो एडिनोवायरस की वजह से होती है। ये रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी सांस की नली पर हमला करता है। इससे संक्रमित होने पर आम कोल्ड जैसा संक्रमण होता है। अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के मुताबिक, एडिनोवायरस से किसी भी उम्र का व्यक्ति कभी भी संक्रमित हो सकता है। छोटे बच्चों को इससे ज्यादा खतरा है।

पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि दो साल तक के बच्चों को इसका सबसे ज्यादा खतरा है इससे बड़ी उम्र के बच्चों के इससे संक्रमित होने के कम चांसेस हैं।

इसके लक्षण क्या हैं ?

इससे संक्रमित होने पर कॉमन कोल्ड या फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा बुखार गले का सूखना एक्यूट ब्रोंकाइटिस जैसी समस्या भी आती है।

इन सबके अलावा निमोनिया आंखों में गुलाबीपन (कॉन्ज्यूक्टिविटीज), डायरिया, उल्टी और पेट दर्द जैसी शिकायत भी होती है। कुछ लोगों को ब्लेडर इन्फेक्शन भी हो सकता है।

ये वायरस कैसे फैलता है

चूंकि ये वायरल बीमारी है। इसलिए किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है हवा के जरिए भी खांसने या छींकने से ये फैल सकता है। अगर किसी सतह पर एडिनोवायरस मौजूद है। और उसे आप छूते हैं या उसके संपर्क में आते हैं तो वायरस की चपेट में आ सकते हैं।

बचाव के तरीके क्या?

सीडीसी का कहना है कि इस वायरस से बचने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर पर कम से कम 20 सेकंड तक साबुन से हाथ धोना चाहिए। गंदे हाथों से आंख, नाक और मुंह को छूने से बचना चाहिए। जो लोग बीमार हैं।

उनके संपर्क में आने से भी बचकर रहना चाहिए।अगर आप बीमार हैं तो घर पर ही रहें खांसते या छींकते समय टीशू का इस्तेमाल करें।अपने बर्तन दूसरों के साथ शेयर करने से भी बचें सीडीसी के मुताबिक, एडिनोवायरस की कोई खास दवा या इलाज मौजूद नहीं है। ज्यादातर एडिनोवायरस इन्फेक्शन में हल्के लक्षण होते हैं। और दर्द या बुखार की दवा से ये ठीक हो जाता है।

 

 

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