Vivek Agnihotri ने फिल्मफेयर अवॉर्ड काे ठुकराया, बोले- सिर्फ हंगामा..

मुझे मीडिया से पता चला कि 'द कश्मीर फाइल्स' को 68वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए 7 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है, लेकिन मैं विनम्रतापूर्वक इन अनैतिक और सिनेमा विरोधी पुरस्कारों काे ठुकराता हूँ

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

दिल्ली: डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्रीको उनकी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के लिए खूब सारी तारीफें मिली है बहुचर्चित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ और उससे जुड़े लोगों को फिल्म फेयर की सात केटेगरी विवेक अग्निहोत्री को नॉमिनेट किया गया है। 68वें फिल्म फेयर पुरस्कारों (Filmfare Awards) के लिए कश्मीर फाइल्स को बेस्ट फिल्म, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट स्क्रीनप्ले के लिए विवेक अग्निहोत्री, को नॉमिनेट किया गया। इस मूवी को सात श्रेणियों में नामांकित किया गया है। लेकिन फिल्म के डायरेक्टर विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इन पुरस्कारों से खुद को अलग कर लिया है। लेकिन विवेक ने फिल्मफेयर नामांकन के बारे में एक ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते बड़ी बात कह दी है।

विवेक अग्निहोत्री का पोस्ट हो रहा वायरल

इसकी जानकारी विवेक ने सोशल मीडिया पर एक लंबे पोस्ट के जरिए दी है। उन्होंने इन पुरस्कारों को सिनेमा विरोधी और अनैतिक करार देते हुए इसमें शामिल नहीं होने की बात कही है। साथ ही बताया है कि धीरे-धीरे एक दूसरा हिंदी फिल्म उद्योग उभर रहा है। उन्होंने लिखा है, “मुझे मीडिया से पता चला कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ को 68वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के लिए 7 कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया है। लेकिन मैं विनम्रतापूर्वक इन अनैतिक और सिनेमा विरोधी पुरस्कारों का हिस्सा बनने से इनकार करता हूँ।

फिल्मफेयर

विवेक ने कहा है कि फिल्म फेयर के लिए सितारों का चेहरा ही मायने रखता है। इसलिए उसकी चापलूसी वाली दुनिया में संजय लीला भंसाली या सूरज बड़जात्या जैसे निर्देशक चेहरा नहीं हैं। संजय भंसाली को आलिया भट्ट तो सूरज को मिस्टर बच्चन और अनीस बज्मी के नाॅमिनेशन को कार्तिक आर्यन के चेहरे के साथ प्रस्तुत किया जाता है। इसलिए बॉलीवुड के भ्रष्ट, अनैतिक और चापलूस पुरस्कार समारोह से विरोध जताते हुए मैंने अलग होने का फैसला किया है। मैं ऐसे पुरस्कारों को स्वीकार नहीं करूँगा

विवेक ने कहा है कि वे ऐसे किसी भी संस्था या समारोह का हिस्सा नहीं बनेंगे जो फिल्म में काम करने वाले डायरेक्टर, लेखक, एचओडी और अन्य क्रू मेंबर्स को अहमियत नहीं देते। जहाँ फिल्म से जुड़े अन्य लोगों के साथ सितारों के गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता है। फिल्म फेयर पुरस्कारों से फिल्म निर्माताओं को शोहरत या मान नहीं मिलता, बल्कि उनके काम से मिलता है। इस अपमानजनक व्यवस्था को समाप्त होना चाहिए।

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