खर्राटे लेना सेहत के लिये हो सकता है हानिकारक, जानिये बचाव के कारण

खर्राटे एक कॉमन प्रॉब्लम है। हालांकि, अगर कोई व्यक्ति कोजाना खर्राटे ले रहा है तो ये गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है। तेज खर्राटे कई गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकते हैं।

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. खर्राटे एक कॉमन प्रॉब्लम है। बच्चों से लेकर बड़ों तक, खर्राटे लेते हैं। हालांकि, बड़े लोगों में ये समस्या काफी कॉमन है। ज्यादातर लोग इसे एक गंदी आदत के रूप में ही देखते हैं। हालांकि, इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। रोजाना खर्राटे लेना आपके लिए अनहेल्दी हो सकता है। लगभग हर कोई कभी न कभी खर्राटे लेता है, लेकिन कुछ लोगों के लिए यह एक पुरानी समस्या हो सकती है। यहां जानिए खर्राटों से जुड़ी कुछ बातें जो आपको पता होनी चाहिए।

क्या है खर्राटे आने का कारण?

खर्राटे टिशू के वाइब्रेशन और कंपन के कारण होते हैं। नींद के दौरान, मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं, ऐसे में ये वायुमार्ग को संकुचित कर देती हैं, और जब हम सांस लेते और छोड़ते हैं, तो हवा के कारण टिशू फड़फड़ाते हैं और फिर अवाज आती है। कुछ लोगों के गले में मांसपेशियों और टिशू के आकार के कारण खर्राटे आने की संभावना ज्यादा होती है।

वहीं दूसरे मामलों में, टिशू के ज्यादा आराम या एयरवे के संकुचन से खर्राटे आ सकते हैं। इसके अलावा मोटापा, शराब पीना, सेडेटिव दवाओं का इस्तेमाल, नेजल कंजेशन, बड़े टॉन्सिल, जीभ या नरम तालू, जबड़ा जो छोटा या सेट-बैक होना, प्रेग्नेंसी के कारण खर्राटे आ सकते हैं।

हालांकि बच्चों सहित किसी भी उम्र के लोग खर्राटे ले सकते हैं, लेकिन वृद्ध लोगों में ये काफी कॉमन है। पुरुष महिलाओं की तुलना में अधिक बार खर्राटे लेते हैं।

क्या खतरनाक है खर्राटे लेना?

खर्राटों को तीन पार्ट में बांटा गया है-

1) हल्का, कम खर्राटे लेना सामान्य है और इसके लिए मेडिकल टेस्टिंग या ट्रीटमेंट की जरुरत नहीं है।

2) प्राइमरी खर्राटे हफ्ते में तीन रातों से ज्यादा होते हैं। हालांकि, इसे आमतौर पर स्वास्थ्य संबंधी चिंता के रूप में नहीं देखा जाता है। जब तक कि नींद में व्यवधान या स्लीप एपनिया के संकेत न हों, ऐसे में ​​परीक्षण जरूरी हो सकते हैं।

3) ओएसए से जुड़े खर्राटे हेल्थ के नजरिए से ज्यादा चिंताजनक होते हैं। अगर ओएसए इलाज के बिना चला जाता है, तो इसका व्यक्ति की नींद और ओवरऑल हेल्थ के लिए बड़े प्रभाव हो सकते हैं। अनियंत्रित ओएसए खतरनाक दिन के समय उनींदापन, और दिल संबंधी मुद्दों, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, स्ट्रोक और डिप्रेशन सहित कई गंभीर स्वास्थ्य परेशानियों से जुड़ा है।

हो सकती हैं ये परेशानियां

1) स्ट्रोक- हर रात जितना जोर से और लंबे समय तक आप खर्राटे लेते हैं, उतना ही स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। खर्राटे धमनी के क्षतिग्रस्त होने का एक संकेत हो सकते हैं। ऐसे में आपको सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

2) हार्ट अटैक- आंकड़े बताते हैं कि स्लीप एपनिया वाले लोगों में दिल रोग की परेशानी और दिल के दौरे दोनों की संभावना दोगुनी होती है।

3) मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानी- स्लीप एपनिया आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, जिससे नींद की कमी से लेकर गंभीर डिप्रेशन तक की समस्या हो सकती है।

4) सिरदर्द- अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने सुबह के सिरदर्द, अनिद्रा और स्लीप एपनिया सहित नींद संबंधी विकारों के बीच एक संबंध पाया।

5)डायबिटीज का खतरा- डायबिटीज और स्लीप एप्निया के संबंध पर येल यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, वे लोग जो बहुत तेज और रोजाना खर्राटे लेते हैं, उन्हें डायबिटीज होने की 50% ज्यादा संभावना का सामना करना पड़ता है, उन लोगों की तुलना में जो खर्राटे नहीं लेते हैं। इसके अलावा स्लीप एप्निया टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम से जुड़ा हुआ है।

खर्राटों से कैसे बचें?

लाइफस्टाइल में बदलाव खर्राटों को रोकने में मदद कर सकते हैं।

1) हेल्दी वेट- ज्यादा वजन या मोटापा खर्राटों और स्लीप एपनिया के लिए जरूरी जोखिम कारक हैं, इसलिए हेल्दी वजन रखना खर्राटों से बचने के लिए एक जरूरी कदम हो सकता है।

2) अल्कोहल का सीमित इस्तेमाल- अल्कोहल खर्राटों को प्रमोट करता है, वहीं सिडेटिव दवाएं भी खर्राटों को ट्रिगर कर सकती हैं। ऐसे में अल्कोहल से बचना बेहतर है।

3) स्लीपिंग पॉजिशन- पीठ के बल सोने से आपके वायुमार्ग को बाधित होने में आसानी होती है। ऐसे में सही सोने की पोजिशन जरूरी है। कुछ विशेषज्ञ एक टेनिस बॉल को शर्ट के पीछे सिलाई करने की सलाह देते हैं ताकि आप अपनी पीठ के बल सोने के लिए वापस न आ सकें।

4) नाक के कंजेशन को कम करें- एलर्जी या नाक के कंजेशन को खत्म करने के लिए खर्राटों का मुकाबला किया जा सकता है। नाक के ऊपर लगने वाली ब्रीदिंग स्ट्रिप्स रात के दौरान आपके नेजल पैसेज को खोलने में मदद कर सकती हैं।

 

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