Navratri : जानिये क्या है अभिजित मुहूर्त, नोट कर लें कलश स्थापना विधि, मंत्र और नियम

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत आज से हो गई है। नवरात्रि के पहले दिन मां के प्रथम रूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना भी की जाती है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार अभिजित मुहूर्त में घटस्थापना करना शुभ माना जाता है।

कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहुर्त सबसे उत्तम – कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहुर्त का समय सबसे उत्तम रहेगा। सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहुर्त है। इसके बाद मध्याहृन में 11.33 से 12.23 तक अभिजीत मुहुर्त में कलश स्थापना शुभकारक होगा। प्रतिपदा का योग रात्रि 12 बजकर 06 मिनट तक है। कलश स्थापना के साथ मां के प्रथम स्वरुप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना होगी।

 

घटस्थापना कैसे करें-

1. नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर नहाएं।
2. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद कलश को पूजा घर में रखें।
3. मिट्टी के घड़े के गले में पवित्र धागा बांधे
4. अब कलश को मिट्टी और अनाज के बीज की एक परत से भरें।
5. कलश में पवित्र जल भरकर उसमें सुपारी, गंध, अक्षत, दूर्वा घास और सिक्के डालें।
6. कलश के मुख पर एक नारियल रखें।
7. कलश को आम के पत्तों से सजाएं।
8. मंत्रों का जाप करें।
9. कलश को फूल, फल, धूप और दीया अर्पित करें।
10. देवी महात्म्यम का पाठ करें।

 

मां दुर्गा की पूजन विधि-

नवरात्रि के दिन सबसे पहले नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ पानी से स्नान कर लें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा घर में कलश स्थापना के स्थान पर दीपक जलाएं। अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें। इसके बाद माता रानी को श्रृंगार का सामान, अक्षत और सिंदूर चढ़ाएं। अब मां दुर्गा को फल और मिठाई का भोग लगाएं। धूप, अगरबत्ती से माता रानी की आरती उतारें और अंत में दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
मंत्र-

सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
नवार्ण मंत्र – ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’

 

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