गांधी के शिक्षा की अवधारणा वर्तमान की आवश्यकता है- डॉ सीमा सिंह

स्टार एक्सप्रेस / संवाददाता

सुल्तानपुर। राणा प्रताप पी जी कालेज में बीएड प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों हेतु वर्तमान संदर्भ में महात्मा गांधी के शैक्षिक विचारों का महत्त्व विषय पर एक विद्यार्थी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विषय विशेषज्ञ डॉ सीमा से ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गांधीजी ने शिक्षा की एक ऐसी प्रणाली का पता लगाने का प्रयास किया है जिसे बुनियादी शिक्षा कहा जाता है। शिक्षा की यह प्रणाली उनके जीवन और मूल्यों के दर्शन के अनुरूप है।

गांधीजी ने बार-बार इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा को बच्चे को उसके व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास का अवसर प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि “सच्ची शिक्षा वह है जो बच्चों के आध्यात्मिक, बौद्धिक और शारीरिक संकायों को बाहर लाती है और उत्तेजित करती है।” अपने जीवनकाल के दौरान उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की बच्चों के लिए बेकार और निरर्थक कवायद के रूप में कड़ी आलोचना की। गांधीजी शिक्षा को अपने आप में साध्य नहीं, साध्य का साधन मानते थे। इसे व्यक्तिगत व्यक्तित्वों के व्यापक विकास और राष्ट्र की जरूरतों की सेवा में एक साधन माना जाता है।

समाज में विद्यमान समस्याओं जैसे बेरोजगारी, असमानता, छात्रों में अशांति, नैतिक पतन, आतंकवाद और हिंसा को देखते हुए; गांधी की शिक्षा की अवधारणा वर्तमान की आवश्यकता प्रतीत होती है। गांधी का मानना ​​था कि शिक्षा से न केवल ज्ञान में वृद्धि होनी चाहिए बल्कि हृदय और हाथों में संस्कृति का भी विकास होना चाहिए। गांधी की एक और रुचि चरित्र निर्माण में निहित है।

उनके अनुसार चरित्र निर्माण के बिना शिक्षा शिक्षा नहीं है। इस संगोष्ठी में अर्चिता यादव ,शिखा, शिवानी चौरसिया, सत्यम शुक्ला, अनुराधा, शिवानी प्रजापति ,संदीप सिंह, प्रज्ञा अग्रहरी, प्रियंका, स्मिता, अनीता, अंजली पाण्डेय, दिव्या, आस्था विजय तिवारी, सत्यम त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किए । संचालन सुभाषिनी शुक्ला ने किया। इस अवसर पर बीएड प्रथम वर्ष के सभी विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button