राहुल गांधी को बड़ा झटका, मोदी सरनेम केस में सूरत कोर्ट से नहीं मिली राहत

राहुल गांधी की सजा पर नहीं लगेगी रोक, सूरत कोर्ट ने दिया बड़ा झटका, हाई कोर्ट जाएगी कांग्रेस

 स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

सूरत (गुजरात):  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मोदी सरनेम केस में सूरत सेशंक कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने राहुल गांधी की अर्जी खारिज कर दी है। 2019 में राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर अपने भाषण में टिप्पणी की थी जिसे लेकर मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में गुजरात की सेशंस कोर्ट से राहत नहीं मिली है।

कोर्ट ने राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा के खिलाफ अर्जी को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। निचली अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। सूरत की एक सत्र अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ वाले बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया था।

इस फैसले पर रोक लगाने को लेकर राहुल गांधी ने सेशंस कोर्ट में अर्जी लगाई थी। अगर आज दोषी ठहराये जाने और सजा सुनाये जाने पर रोक लग जाती तो राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाल हो सकती थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर पी मोगेरा की अदालत ने पिछले गुरुवार को राहुल गांधी की अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

राहुल गांधी की तरफ से 3 अप्रैल को दी गई थी अर्जी

राहुल गांधी ने निचली अदालत के आदेश के खिलाफ 3 अप्रैल को सत्र अदालत का रुख किया था। उनके वकीलों ने दो आवेदन भी दाखिल किए थे। जिनमें एक सजा पर रोक के लिए और दूसरा अपील के निस्तारण तक दोषी ठहराये जाने पर स्थगन के लिए था।

अदालत ने राहुल को जमानत देते हुए शिकायती पूर्णेश मोदी और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए थे। कोर्ट ने पिछले गुरुवार को दोनों पक्षों को सुना और फैसला 20 अप्रैल तक के लिए सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान सीनियर एडवोकेट आरएस चीमा ने राहुल गांधी का पक्ष कोर्ट के सामने रखा था।

मानहानि का केस उचित नहीं: राहुल के वकील

राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया था कि राहुल की मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर मानहानि का केस उचित नहीं था। साथ ही केस में अधिकतम सजा की भी जरूरत नहीं थी। सीनियर एडवोकेट आरएस चीमा ने कहा था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389 में अपील लंबित होने पर सजा के निलंबन का प्रावधान है। उन्होंने कहा था सत्ता एक अपवाद है, लेकिन कोर्ट को सजा के परिणामों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि कोर्ट को इस बात पर विचार करना चाहिए कि क्या दोषी को अपूरणीय क्षति होगी. ऐसी सजा मिलना अन्याय है।

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