महिला हेल्पलाइन 181 की महिला कर्मचारियों को वेतन मांगने पर सरकार ने नौकरी से किया बेदखल !

महिला हेल्पलाइन 181 की कर्मचारियों का वेतन न मिलने पर प्रदर्शन

 

अंकुश विहाग

लखनऊ. महिला सशक्तीकरण के लिए सरकार प्रतिबद्ध होने का दावा करती रहती है। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, सुमंगला योजना, उज्ज्वला योजना, महिला हेल्पलाइन जैसी योजनाएं बेशक महिला सुरक्षा और सम्मान के लिए चलाई जा रही हों, लेकिन धरातल पर इसका विरोधाभास ही नजर आ रहा है। महिलाओं के लिए चलाई जा रही एक महत्वाकांक्षी योजना 181 महिला हेल्पलाइन की महिलाएं ही अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने को मजबूर हैं, बावजूद इसके वे बेबस दिख रही हैं। सरकार भी उनकी सुनवाई नहीं कर रही है। कोविड महामारी के बाद गुरुवार से शुरु हो रहे विधानसभा सत्र के पहले दिन ही यह सरकार के ऊपर एक तमाचा है।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इको गार्डन में प्रदर्शन को मजबूर 181 महिला हेल्पलाइन में काम करने वाली महिलाओं का आरोप है कि उन्हें साल भर से ज्यादा काम करने के बावजूद एक भी रूपये वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। वेतन मांगने के बाद 351 महिला कर्मचारियों को अब नौकरी से भी हाथ धोना पड़ा है।

यूपी में महिला हेल्पलाइन 181 में काम करने वाली करीब 350 महिलाएं पिछले एक साल से अपने वेतन का इंतजार कर रही हैं। अधिकारियों, मजिस्ट्रेट से लेकर विधायक तक को ज्ञापन दिए, सभी ने हर बार एक ही बात कही, “हफ्ते भर में वेतन आ जाएगा.” वेतन नहीं आया.

जून 2019 से महिलाओं को वेतन नहीं मिला था और जून 2020 में महिलाओं को बिना कोई कारण बताए “डिस्कंटिन्यू लेटर” दे दिया; मतलब अब इन महिलाओं की नौकरी भी गई। हफ्ते भर की रट लगाने वाले प्रशासन के खिलाफ धरनारत इन महिलाओं का कहना है कि, “अब हम हफ्ते भर घर पर बैठकर इंतजार करने की जगह यहीं धरना स्थल पर वेतन का इंतजार करेंगे!”

आपको बता दें कि इसके पहले भी 23 जुलाई को महिलाएं धरने पर बैठी थीं। लेकिन अधिकारियों ने उन्हें हफ्ते भर में वेतन एकाउंट में मिल जाने के आश्वासन के साथ उठा दिया था। हालांकि ऐसे आश्वासन उन्हें पहले भी कई बार मिल चुके हैं, लेकिन नतीजा हमेशा वही रहा। UP सरकार ये बोलकर पल्ला झाड़ रही है कि मामला प्राइवेट कंपनी का है, वहीं कंपनी सरकार से फंड नहीं मिलने का तर्क दे रही है।

 

निजी कंपनी और सरकार के बीच पिस रहीं हैं महिलाएं

कोरोना महामारी ने अच्छे अच्छों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी है. सरकार 20 लाख करोड़ के पैकेज और PM Cares फंड की दुहाई तो देती है, लेकिन इन महिलाओं की गुहार सुनने वाला कोई नहीं है. हेल्पलाइन 181 की टीम लीडर पूजा ने बताया कि, “एक निजी कंपनी GVK को महिला हेल्पलाइन नंबर 181 का पूरा टेंडर मिला था। हमारा वेतन सरकार देती है इस कंपनी को, और कंपनी फिर हमारे खातों में वेतन डालती है. लेकिन पिछले 14 महीनों से वेतन के बारे में पूछने पर GVK और सरकार एक दूसरे को दोषी ठहराते हैं।”

“GVK से पूछने पर जवाब मिलता है कि सरकार की तरफ से फंड नहीं मिल रहा है। इसलिए वेतन रुका है। सरकार का कहना है कि वेतन आखिर में आपकी कंपनी ही देगी। दोनों के बीच हम पिस रहे हैं। हमारी सुनने वाला कोई नहीं है।”

 

वेतन नहीं मिलने से अवसाद और आत्महत्या की घटनाएं

महिला हेल्पलाइन 181 में काम करने वाली अर्चना ने अपनी उन्नाव की एक सहकर्मी की दशा बताई। 5 जून को हम लोगों को बिना कोई कारण स्पष्ट किए नौकरी से निकाले जाने की चिट्ठी मिली. इससे परेशान होकर आयुषी ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली. उनके पीछे उनकी 5 साल की बच्ची और एक अपाहिज पति हैं. वो अपने घर की एकलौती कमाने वाली थीं. लेकिन उनकी मौत की जिम्मेदारी लेने वाला अब कोई नहीं है.”

एक और महिला कर्मचारी की आत्महत्या की पुष्टि 181 महिला कर्मचारी दीपशिखा ने की है। दोनों ही आत्महत्या करने वाली महिलाएं अपने घरों में अकेली कमाने वाली थीं।

 

महिलाओं के सम्मान में खिलाड़ी भी मैदान में

महिलाओं को समर्थन देने के लिए देश के खिलाडी भी आगे आ रहे हैं। अपना समर्थन देने के लिए दिल्ली से चलकर लखनऊ पहुंचे राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी दिनेश सिंह ने जीवीके कंपनी के खिलाफ करोड़ों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि 181 हेल्पलाइन की कर्मचारी महिलाएं सड़कों पर रात बिताने के लिए मजबूर है। साल भर से ज्यादा हो जाने पर भी उन्हें वेतन नहीं मिला है। जीवीके कंपनी ने 181 महिलाएं हेल्पलाइन कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए कंपनी से निकाला। सरकार को इस पर तुरंत कारवाही करनी चाहिए।

 

प्रशासन के पास नहीं कोई जवाब

महिलाओं का वेतन नहीं मिल पाना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। लेकिन प्रशासन के पास कोई उपाय और जवाब नहीं होना ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है। कर्मचारियों की मांग एक ही है कि जल्द से जल्द उनके वेतन का भुगतान किया जाए।

 

क्या है हेल्पलाइन 181 प्रोजेक्ट, कैसे हुई थी इसकी शुरुआत ?

महिला हेल्पलाइन 181 की शुरूआत साल 2016 में हुई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट में से यह एक है। इसका पूरा नाम, “181 महिला आशा ज्योति लाइन” है। एसिड अटैक, घरेलू हिंसा, बलात्कार, बाल विवाह, छेड़खानी, मानसिक उत्पीड़न, विधिक मामले जैसी महिलाओं की सभी समस्याओं पर त्वरित कार्यवाही के लिए ये हेल्पलाइन बनाई गई थी। 25 करोड़ की लागत वाली ये योजना महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी थी।

महिला हेल्पलाइन नंबर की वेबसाइट में भी स्पष्ट लिखा है कि, “उत्तर प्रदेश सरकार के महिला कल्याण विभाग द्वारा महिलाओं की मदद के लिए एक नि:शुल्क महिला हेल्प लाइन नंबर दिया गया है, जिस पर महिला कभी भी (24*7) कॉल कर के अपनी किसी भी प्रकार की समस्या बता सकती हैं व सहायता प्राप्त कर सकती हैं।”

18 डिवीजनों में बंटा ये प्रोजेक्ट 351 महिलाओं के साथ, हाउसकीपर, ड्राइवर और अन्य सहायक कर्मचारियों को मिला कर 450 लोगों के लिए रोजगार का साधन है। हर डिवीजन में उस जिले का प्रोबेशन अधिकारी टीम को लीड करेगा। प्रोजेक्ट हेड आशीष वर्मा नियुक्त हुए और काम शुरू हुआ। रोजाना सैकड़ों महिलाओं को रेस्क्यू किया जाता था।

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