बैंकिंग सेक्टर में सरकार उठाने जा रही यह बड़ा कदम, जानिए आपकी जेब पर पड़ेगा कितना असर

डेस्क. जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार आयी है वह लगातार विनिवेश और निजीकरण करने पर बल दे रही है। ऐसे में सरकार एक बार फिर से बैंकिंग सेक्टर में बड़े पैमाने पर निजीकरण की ओर कदम बढ़ाने की तैयारी में दिख रही है। 1969 में देश में इंदिरा गांधी सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था, लेकिन अब मोदी सरकार एक बार फिर से 51 साल बाद पुराने दौर में लौटने की तैयारी में है।

इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने इस तरह का प्रस्ताव पेश किया है, जिस पर सरकार की ओर से विचार किया जा रहा है। दरअसल सरकार का मानना है कि लंबे समय तक टैक्सपेयर्स की रकम को बैंकों को बेलआउट पैकेज देने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र्र और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण से इस प्रक्रिया की शुरुआत की जा सकती है। बीते कुछ सालों में कई सरकारी बैंकों का आपस में विलय हुआ था, जिनमें ये तीनों ही बैंक शामिल नहीं थे। ऐसे में इनके निजीकरण से ही शुरुआत की जा सकती है।

दरअसल नीति आयोग ने सरकार को सलाह दी है कि बैंकिंग सेक्टर में लंबे समय के लिए निजी निवेश को मंजूरी दी जानी चाहिए। यही नहीं आयोग ने देश के बड़े औद्योगिक घरानों को भी बैंकिंग सेक्टर में एंट्री करने की अनुमति देने का सुझाव दिया है। हालांकि ऐसे कारोबारी घरानों को लेकर यह प्रावधान होगा कि वे संबंधित बैंक से अपने समूह की कंपनियों को कर्ज नहीं देंगे।

बता दें कि सरकार बीते कई सालों से सरकारी बैंकों का आपस में विलय करने में जुटी है। बीते तीन सालों में सरकारी बैंकों की संख्या 27 से 12 हो गई है। इसी साल 1 अप्रैल से 10 सरकारी बैंक विलय के बाद 4 बैंकों में तब्दील हो गए हैं। कैनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक का आपस में विलय हो गया है। वहीं इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक का विलय हो गया है। दिग्गज सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और युनाइटेड बैंक ऑफ का विलय हुआ है। फिलहाल देश में सिर्फ 12 सरकारी बैंक ही रह गए हैं, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब ऐंड सिंध बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, केनरा बैंक, यूको बैंक, इंडियन बैंक आदि शामिल हैं।

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