सावधान! इस बीमारी से गाय-भैंस की हो सकती है मृत्यु, जाने पुरी खबर

स्टार एक्सप्रेस / संवाददाता

दिल्ली: मई-जून गर्मी के समय में गाय-भैंसों में छूतदार रोग होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस रोग के दौरान पशुओं को करीब 105 से 106° फॉरेनहाइट तक तेज बुखार होता है। साथ ही सांस लेने में तकलीफ के चलते उनकी मौत तक हो सकती है। ऐसे में पशुपालक कुछ बातों का ध्यान रखकर गाय-भैंस को इस बीमारी से बचा सकते हैं।

देश में पशुपालन के जरिए किसानों की आय तभी बढ़ पाएगी, जब पशु रोगमुक्त हों गर्मी और बरसात के दिनों में दुधारू पशुओं को गलघोंटू नामक खतरनाक बीमारी होती है ये बीमारी होने पर पशुओं की आकाल मृत्यु तक हो जाती है। यह बीमारी उन स्थानों पर अधिक होती है जहां बारिश का पानी इकट्ठा हो जाता है।

मई-जून में गाय-भैंसों में इस बीमारी के होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। गाय-भैंसों में यह रोग जीवाणुओं के माध्यम से पनपता है। अगर आपका पशु अस्वच्छ स्थान पर है तो जीवाणु उसपर तेजी से आक्रमण करेंगे। पशुओं में इस रोग का फैलाव भी बेहद तेजी से होता है।

इस रोग के दौरान पशुओं को करीब 105 से 106° फॉरेनहाइट तक तेज बुखार रहेगा. उनकी आंखें लाल एवं सूजी हुई नजर आएंगी. नाक, आंख एवं मुंह से स्त्राव होगा। गर्दन, सिर या आगे की दोनों टांगों के बीच सूजन दिखाई देगा। सांस लेते समय घुर्र-घुर्र की आवाज होगी। सांस लेने में कठिनाई के कारण दम घुटने से पशु की मौत भी हो सकती है।

पशु में बरतें ये सतर्कता 

विशेषज्ञों के मुताबिक, ये बीमारी अन्य एक पशु से दूसरे पशु में बेहद तेजी से फैलती है। ऐसे में स्वस्थ पशुओं को चारा, दाना, पानी अलग कर दें। साथ ही उनके रहने का स्थान भी रोगी पशुओं से अलग कर दें। बीमारी से मृत पशु के शव का निस्तारण वैज्ञानिक तरीके से गहरा गड्ढा खोदकर नमक या चूना डालकर करें, अन्यथा इसके संपर्क में आने से अन्य पशुएं भी बीमार हो सकते हैं। इसके अलावा रोगी पशुओं का दूध पीने से बचें।

तुरंत कराएं पशुओं का इलाज  

बता दें कि अगर इस रोग का समय रहते इलाज नहीं किया गया तो पशुओं की मौत तक हो सकती है। रोग की सूचना निकट के पशु चिकित्सालय में दें एवं रोगी पशु का तुरंत  उपचार कराएं। गलाघोंटू रोग का टीका निकटतम पशु चिकित्सा संस्था से अवश्य लगवाएं. रोगी पशु को नदी, तालाब, पोखर आदि में पानी न पीने दें।

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