खाने के स्वाद को दोगुना कर देती है चटनी, जानें इसके बारे में
स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता
दिल्ली : भारत की चटनियों में धनिए-पुदीने-मिर्च की हरी चटनी सबसे आम है। इसमें मौसम के अनुसार, कच्ची अमियां भी शामिल कर ली जाती हैं। इससे टक्कर लेती है गुड़, इमली-अमचूर, अदरक और मसालों से भरपूर थोड़ी मिठास वाली चटपटी सोंठ। दक्षिण भारतीय टिफिन में नारियल की चटनी का साथ देती है, टमाटर, प्याज की लाल चटनी और कभी-कभार हरी पुदीने-धनिए की चटनी। इन चटनियों की खास पहचान होती है सरसों, उड़द की दाल और करी पत्ते के तड़के से।
कश्मीर की घाटी में अखरोट तथा मूली की ‘चेटिन’ दही के साथ पीसी जाती है, तो उत्तराखंड एवं पूर्वोत्तर में तिल और भांग के बीजों की चटनी पारंपरिक है। महाराष्ट्र में लालमिर्च तथा लहसुन का ‘ठेचा’ सबसे लोकप्रिय तीखी चटनी है। वहीं, साबूदाने की खिचड़ी का मजा दोगुना करती है सींगदाने यानी मूंगफली की चटनी। भारतीय खानपान में जो भूमिका चटनी की है वही विदेशी परंपरा में सॉस की है। हमारी समझ में बुनियादी अंतर यह है कि भारतीय चटनियां पीसी जाती हैं और कच्ची ही रहती हैं जबकि विदेशी सॉस पकाए जाते हैं। विद्वान इस शब्द का स्रोत ‘साल्सा’ काे मानते हैं, जिसका शब्दिक अर्थ है ‘कूटा-कटा’।
हिंदुस्तान में ‘टमाटर का सॉस’ सबसे आम है। बड़ेे रेस्तरां से लेकर ढाबा छाप रेहड़ी, खोमचे पर इसकी बोतल नजर आती है। पकोड़े-समोसे से लेकर हैमबर्गर-पिज्जा का साथ यह निभाता है। अब यह बात दीगर है कि सस्ती खाने की जगहों पर टमाटर के नाम पर जो सॉस पेश किया जाता है, उसमें टमाटर नाम मात्र का होता है। उसे कद्दू से बनाया जाता है। टोमैटो सॉस को कुछ लोग ‘कैचप’ भी कहते हैं।
खानपान के इतिहासकारों का मानना है कि यह उन चीनियों की ईजाद है, जो 19वीं सदी में अमेरिका पहुंचे और वहीं बस गए। इसका जायका चीनी व्यंजन ‘स्वीट एंड सॉअर’ सरीखा खट्टा-मीठा जैसा ही होता है। सिरका, चीनी, लहसुन और अदरक, टमाटर के सॉस को स्वादिष्ट बनाते हैं।
‘मोमो’ के प्रेमियों को ‘चिली सॉस’ भी पराया नहीं लगता। देखने में सुर्ख इस सॉस में टमाटर नहीं रहते न चीनी की मिठास, यह भी चीनियों की ही देन है। लाल मिर्च और तेल के मेलजोल से यह तीखा सुर्ख सॉस बनता है। पूर्वी एशिया में सोया सॉस का इस्तेमाल नमक मिले मसाला मिश्रण की तरह किया जाता है। यह काला तथा सुनहरा दो तरह का होता है। फिश तथा ऑयस्टर सॉस की प्रतिष्ठा थाई भोजन में अधिक है। इसे चटनी कम मसाले की तरह ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।