भाजपा की अंदरूनी राजनीति पर अखिलेश यादव ने बोला हमला

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल  : यूपी में पिछले कई दिनों से योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर चर्चा चल रही है। मंगलवार को भी इसे लेकर बैठकों का दौर चलता रहा। आईएएस से एमएलसी बने ए के शर्मा को डिप्टी सीएम बनाने की सबसे ज्यादा चर्चा है। अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा की इस अंदरूनी राजनीति पर हमला बोला है। उन्होंने बिना एके शर्मा का नाम लिये तंज भी कसा।

 

 

अखिलेश ने बंगाल के मुख्य सचिव को लेकर भी वार किया। अखिलेश ने मंगलवार को योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि नेतृत्व की आंतरिक खींचतान का असर राज्य के कामकाज पर पड़ रहा है। अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा कि अजब है भाजपा की नीति, उप्र के मुख्यमंत्री पर उनकी मर्जी के विरुद्ध दिल्ली से भेजा एक अधिकारी थोपना व प. बंगाल की मुख्यमंत्री की मर्जी के विरुद्ध एक अधिकारी को प. बंगाल से दिल्ली बुलाना। उप्र में डबल इंजन से राज्य को खींचने के झूठे वादे करने वालों के बीच खींचातानी जारी है।

 

 

अखिलेश ने कहा कि चार वर्ष बाद भाजपा और सरकार में तालमेल बिठाने के लिए संगठन नेतृत्व को बैठक करनी पड़ रही है। इन बैठकों और संघ के परामर्श का एकमात्र उद्देश्य फिर सत्ता पर काबिज होना है। राज्य कोरोना के संकट से अभी उभरा भी नहीं कि भाजपा सत्ता के लिए बदहवास है।
उन्होने कहा कि जनहित के निर्णयो में देरी के साथ तमाम विकास योजनाएं भी ठप हैं। सरकारी मशीनरी कुंठित और निष्क्रिय भूमिका में है। इलाज, दवा सभी की मारामारी से चारों तरफ हाहाकार मचा है। अपनी नाकामी छुपाने के लिए झूठी कहानियां गढ़ी जाने का दौर चल रहा हैं। भाजपा सरकार का यह कहना कि दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर का पुख्ता इंतजाम सरकार ने कर लिया है जबकि दूसरी लहर के इंतजाम ही पूरे नहीं हो पाए हैं।

 

 

ब्लैक फंगस के इलाज में तो अक्षम्य लापरवाही हो रही है। सरकार आवश्यक इंजेक्शन तक नहीं उपलब्ध करा पा रही है। मरीज तड़प-तड़प कर जान दे रहे हैं। अब डेढ़ साल बाद सरकार कोरोना संक्रमण की गहन पड़ताल की सूझी है। अभी तक सब क्या करते रहे। टीकाकरण के रक्षक कवच बताने वाली भाजपा सरकार ने दिवाली तक प्रदेश में सबको टीका देने का लक्ष्य तो तय कर लिया पर अभी तक उसकी व्यवस्थाएं ही पूरी नहीं हो पा रही हैं। वैक्सीन के अभाव में कई टीकाकरण केंद्र बंद हो चुके हैं। अभी भी वैक्सीन की दर प्रदेश में दो प्रतिशत से कम ही रही है। 98 प्रतिशत लोगों को दूसरी डोज नहीं लग सकी है।

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