उत्तराखंड: इस छेद को पार करने मात्र से भर जाती है महिला की सूनी गोद, लगती है भक्तों की भीड़

स्टार एक्सप्रेस

मुक्तेश्वर। उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित मुक्तेश्वर भी आस्था और विश्वास (Faith) का बड़ा केंद्र है। यहां मौजूद चौली की जाली, जिसे चौथा जाली के नाम से भी जाना जाता है। यह स्थान यहां आ रहे भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। कहते हैं इस स्थान पर चट्टान में बने एक छेड़ को जो कोई स्त्री पार कर लेती है उसे संतान सुख की प्राप्ति हो जाती है।

Faith: इस छेद को पार करने मात्र से भर जाती है महिला की सूनी गोद, लगती है भक्तों की भीड़

 

उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। इस राज्य में हजारों मंदिर स्थित हैं और हर मंदिर की अपनी अलग मान्यताएं हैं। ऐसा ही एक मंदिर है नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर में भी मौजूद है। (Faith) इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का एक भव्य शिवलिंग स्थापित है। यहां मंदिर के नजदीक ही कुछ चट्टानों का समूह है। इन चट्टानों को ही चौली की जाली कहा जाता है। महाशिवरात्रि के दौरान इस स्थान पर भक्तों का हुजूम उमड़ता है। इन भक्तों में महिलाओं की संख्या काफी अधिक होती है। ये महिलाएं यहां संतान प्राप्ति की कामना लेकर आती हैं।(Faith)

महाशिवरात्रि पर है खास मान्‍यता

इस स्थान की सबसे खास मान्यता यह है कि जो भी महिला महाशिवरात्रि के दिन चौली की जाली पर मौजूद छेद को पार कर लेती है तो भगवान शंकर उसकी झोली खुशियों से भर देते हैं।। स्थानीय लोगों के अनुसार, कई महिलाओं को इस तरह संतान सुख की प्राप्ति हुई है।(Faith)

ये है पौराणिक कथा

यहां मौजूद चौली की जाली के पीछे एक पौराणिक कथा है। कहते हैं जब सैम देवता अपने गणों से साथ हिमालय की तरफ जा रहे थे, तब उनके सामने चौली की जाली आ गई थी। उस दौरान भोलेनाथ भी चट्टान में धूनी रमाये बैठे हुए थे। इस पर सैम देवता ने भगवान शंकर से रास्ता देने का आग्रह किया किन्तु उस वक्त भगवान भोलेनाथ तपस्या में लीन थे कर उनका आग्रह नहीं सुन सके। इस पर सैम देवता क्रोधित हो उठे।

इससे भगवान शिव की तपस्या भी भग हो गई और उन्होंने त्रिशूल से चट्टान पर प्रहार कर दिया, जिससे उसमें छेद हो गया। शिव के क्रोध को देखकर सैम देवता को वहां से गायब कर दिया। कहा जाता है कि इस स्थान पर कई दिव्य शक्तियों का वास है। यही वजह है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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