अपराधी बनकर इस्तीफा नही दूंगा : WFI अध्यक्ष बृजभूषण सिंह 

बृजभूषण शरण सिंह ने खुद पर लगाए गए पहलवानों के आरोपों पर सफाई दी है, ममता बनर्जी ने पहलवानों का समर्थन किया और ओलंपिक विजेता नीरज चोपड़ा ने तुरंत कार्रवाई की मांग की

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

दिल्ली : भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने खुद पर लगाए गए पहलवानों के आरोपों पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि जो आरोप लगाए हैं वो सारे बेबुनियाद हैं। उन्होंने कहा कि मुझे जनता की वजह से पद मिला है. उन्होंने कहा कि अखाड़े में एक ही परिवार क्यों  है?  दिल्ली पुलिस ने भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सात महिला पहलवानों द्वारा लगाये गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के सिलसिले में शुक्रवार को दो प्राथमिकी दर्ज कर चुकी है।

अब इस मामले में खुद सामने आकर बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, “मैं पूरी तरह निर्दोष हूं, इसलिए अपराधी बनकर नहीं दूंगा इस्तीफा मुझे किसी के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है।  मैं किसी भी जांच में सहयोग करुंगा। मुझे हमेशा एजेंसियों में विश्वास रहा है। मेरे समर्थक और मुझे विश्वास है कि मुझे न्याय मिलेगा।

कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के प्रमुख ने अपना बचाव करते हुए कहा कि मैं निर्दोष हूं और सभी आरोपों का सामना करुंगा। ये पहलवानों का नहीं बल्कि षडयंत्रकारियों का धरना है। इस मामले की जांच पूरी हो, मुझे सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। धरने पर बैठे पहलवानों की मांगें लगातार बदल रही हैं। उन्होंने सबसे पहले मेरा इस्तीफा मांगा, जिस पर मैंने कहा कि इसका मतलब आरोपों को स्वीकार करना होगा। 4 महीने के लिए वे लोगों को मेरे खिलाफ भड़काते हैं और नए लोगों को मेरे खिलाफ खड़ा करते हैं। मैंने हमेशा सरकार का सम्मान किया है।

बृजभूषण शरण सिंह ने साथ ही कहा कि वे कह रहे हैं कि मुझे जेल में होना चाहिए, मैं एक लोकसभा सांसद हूं। मेरा ओहदा विनेश फोगाट के कारण नहीं है, यह लोगों की वजह से है, जिन्होंने मुझे वोट देकर चुना है। आखिरकार एक ही परिवार और एक अखाड़ा ही सिर्फ मेरा विरोध क्यों कर रहा है? मैं बहुत मेहनत कर रहा हूं, यह मेरे खिलाफ साजिश है। जंतर-मंतर पर पप्पू यादव और केजरीवाल जैसे नेता क्यों आ रहे हैं। प्रियंका गांधी को नहीं पता कि दीपेंद्र हुड्डा ने मेरे खिलाफ कैसे साजिश रची. पहले दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट का इंतजार क्यों नहीं कर सके। रिपोर्ट के बाद जंतर-मंतर क्यों नहीं गए ?

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