PM मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग में आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव आयोग में आचार संहिता के उल्लंघन का मामला पहुंचा है। महाराष्ट्र के वर्धा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के दिए भाषण को लेकर चुनाव आयोग में कांग्रेस की शिकायत के बाद महाराष्ट्र के निर्वाचन अधिकारियों से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस ने वर्धा में मोदी के भाषण के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी और आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री के बयान नफरत पैदा करने वाले और विभाजनकारी हैं। एक सूत्र ने शुक्रवार को कहा, ‘‘महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गयी है.’ रिपोर्ट आने के बाद आयोग की ओर से उचित कदम उठाया जाएगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को कांग्रेस पर वोट-बैंक की राजनीति करने के लिए ‘हिंदू आतंक’ शब्द को उछालने और करोड़ों हिंदुओं को आतंकवादी की तरह पेश कर उनकी भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था। चुनाव आयोग (Election Commission) ने वर्धा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से दिए गए भाषण को लेकर कांग्रेस की शिकायत के बाद महाराष्ट्र के निर्वाचन अधिकारियों से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस ने वर्धा में नरेंद्र मोदी के भाषण के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी और कहा था कि प्रधानमंत्री के बयान नफरत पैदा करने वाले और विभाजनकारी हैं।

प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) ने सोमवार को वर्धा की एक रैली में कहा कि हमारे 5,000 वर्ष पुराने संस्कृति में, यह पहली बार है कि कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने शांतिपूर्वक रहने वाले हिंदुओं को आतंवादी कहने का पाप किया और पूरी दुनिया के सामने उनकी छवि धूमिल करने का काम किया। नरेंद्र मोदी ने कहा, उन्होंने यह वोट बैंक की राजनीति के लिए किया और वे इसकी रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाएंगे, इसलिए कांग्रेस-राकांपा आम हिंदुओं को अपमानित करने का काम कर रही है। पाकिस्तान में भारतीय वायुसेना की ओर से की गई कार्रवाई के सबूत मांगे गए, जिसने उन्हें पड़ोसी देश में लोकप्रिय बना दिया।

पीएम मोदी ने कहा था कि आप फैसला करें कि आप किसे चाहते हैं? भारतीय हीरो या जो पाकिस्तान में हीरो बन गए हैं? क्या आप उसे सबक सिखांएगे या नहीं? आपको यह सुनिश्चित करके निश्चित ही रिकार्ड बनाना चाहिए कि कांग्रेस-राकांपा राज्य में एक भी सीट नहीं जीत सके. उन्होंने कहा कि अदालत के हालिया फैसले से वे डर गए हैं कि हिंदू उनको सबक सिखाएंगे, इसलिए उन्हें हिंदू बहुल संसदीय क्षेत्रों में खड़े होने का साहस नहीं है और चुनाव के लिए अन्य अल्पसंख्यक बहुल सीटों की ओर दौड़ रहे हैं।

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