पकिस्तान को सता रहा है भारत से युद्ध का डर, जाने क्यों 

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

पाकिस्तान : पाकिस्तान 1947 में भारत से अलग होकर मुस्लिम मुल्क बना पाकिस्तान इस समय अपनी कट्टरपंथी हरकतों के कारण आर्थिक तंगहाली, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवादी हमलों का समना कर रहा है। इसी बीच अब पड़ोसी मुल्क को भारत से युद्ध का डर भी सता रहा है। शहबाज शरीफ सरकार ने गुरुवार को पाकिस्तानी सर्वोच्च न्यायालय को बताया है।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में होने वाली विधानसभा चुनाव को शहबाज सरकार अक्टूबर तक टालना चाहती है। पाकिस्तान के चुनाव आयोग ईसीपी ने मार्च में कहा था कि देश नकदी की कमी से जूझ रहा है। देश में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ी हुई है। ऐसे में पंजाब प्रांत में विधानसभा चुनाव नहीं कराए जा सकते। इसी बीच शहबाज सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को एक रिपोर्ट सौंपी है। जिसमें भारत से युद्ध का जिक्र है।

देश में जारी आर्थिक तंगहाली, राजनीतिक अस्थिरता और आतंकवादी घटनाओं में वृद्धि के बीच पाकिस्तान को भारत से युद्ध का डर सता रहा है। शहबाज शरीफ सरकार ने गुरुवार को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि देश में होने वाली प्रांतीय चुनाव की देरी की एक वजह भारत से युद्ध का डर है। दरअसल, अदालत पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में होने वाली विधानसभा चुनाव में देरी की अपील पर सुनवाई कर रही है।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुरुवार को पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में चुनाव से देश में अस्थिरता बढ़ेंगी और इसका फायदा उठाकर भारत जल विवाद समेत अन्य कई विवादित मुद्दों का लाभ उठा सकता है। रिपोर्ट में पाकिस्तान सरकार ने आशंका जताई है  कि इससे पाकिस्तान उस ‘ग्लोबल ग्रेट गेम’ का विक्टिम बना रहेगा, जहां भारत एक अहम रोल में है।

पाकिस्तान ने चुनाव टालने की मांग

पाकिस्तानी रक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट के माध्यम से पंजाब में होने वाली चुनाव की तारीख के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया है। सरकार ने कहा है कि अगर पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा में विधानसभा चुनाव होते हैं, तो अन्य प्रांतों में भी होने वाले चुनाव से पहले आतंकवाद के खतरे में वृद्धि की आशंका है।

मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने 8 अप्रैल को चुनाव आयोग के उस फैसले को रद्द कर दिया था, जिसमें चुनाव की तारीख 10 अप्रैल से बढ़ाकर 8 अक्टूबर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब विधानसभा के लिए 14 मई को मतदान की तारीख तय की है।

पाकिस्तान सरकार अक्टूबर तक चुनाव टालना चाहती है। पाकिस्तान के चुनाव आयोग ईसीपी ने 22 मार्च को कहा था कि देश नकदी की कमी से जूझ रहा है। देश में सुरक्षा की स्थिति बिगड़ी हुई है। ऐसे में पंजाब प्रांत में विधानसभा चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं।

जाने क्या कहा है पाकिस्तान सरकार ने

पाकिस्तानी वेबसाइट द डॉन के अनुसार, सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान क्रॉस-बॉर्डर टेरेरिज्म, देश में अस्थिरता, आतंकवादी संगठन टीटीपी के खतरों, पाकिस्तान वापस लौट रहे इस्लामिक स्टेट (IS) के लड़ाके और भारतीय जासूस एजेंसी और युद्ध के खतरों से जूझ रहा है। पिछले कुछ वर्षों से देश की सुरक्षा व्यवस्था की हालत ऐसी है कि देश की पूर्वी और पश्चिमी सीमाओं पर सेनाओं की तैनाती की जरूरत पड़ी है।

रिपोर्ट में सरकार की ओर से कहा गया है कि पाकिस्तान को केवल बाहरी आक्रमण से ही नहीं, बल्कि देश में जारी आंतरिक अस्थिरता की वजह से भी खतरा है। पंजाब प्रांत का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में आतंकवाद एक बार फिर से पैर जमाने की कोशिश में है। जनवरी 2022 से अप्रैल 2023 के बीच लगभग 150 आतंकी हमले की धमकियां मिली है। इनमें से 78 हमले के खतरों को काउंटर टेरेरिज्म या इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन की मदद से टाला गया, लेकिन फिर भी आठ हमले को हम नहीं रोक सके।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि देश में आंतरिक अस्थरिता के बीच पंजाब में चुनाव से और खराब स्थिति बन सकती है। इसके अलावा यह भी कहा गया है कि चुनाव के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं को कई धमकियां मिली हैं। इनमें से ज्यादातार धमकियां पंजाब प्रांत से हैं। हालांकि, सरकार ने उम्मीद जताई है कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए चीन, पाकिस्तान, ईरान और अफगानिस्तान के बीच हुए हालिया समझौते का बेहतर परिणाम छह से आठ महीनों के भीतर दिखने लगेगी

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