कर्नाटक में कांग्रेस की जीत पर जाने विश्लेषकों की राय

विश्लेषक अदिति अनंतनारायण का कहना है कि ये भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की गलती है, इस बार भाजपा की जातिगत रणनीति खराब हो गई

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

डेस्क: विश्लेषक अदिति अनंतनारायण का कहना है कि ये भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की गलती है। इस बार भाजपा की जातिगत रणनीति खराब हो गई। कर्नाटक में चुनाव परिणाम आ गए हैं, चुनाव को लेकर जो भी चर्चाएं चल रहीं थी उनकी परिणिति हो गई है। कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है और भाजपा को हार का समाना करना पड़ा। तीसरी पार्टी जेडीएस को बड़ा झटका लगा है। उसका पूरा वोटबैंक शिफ्ट हो गया है। कांग्रेस की जीत के कई कारण रहे। अपने विशेष कार्यक्रम खबरों के खिलाड़ी में हमने विश्लेषकों से इन्हीं कारणों को जानने की कोशिश की।

भाजपा की हार की वजह

कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण उसकी एकजुटता, फोकस तरीके से रणनीति बनाना रहा। वहीं भारत के प्रधानमंत्री से लोग इतना चुनाव पिपासु होने की आशा नहीं करते। पिछले कुछ समयों में अति हो गई है और लोग उक्ता गए हैं। ये भाजपा की हार की एक बड़ी वजह रही। राज्यों के चुनाव में पीएम की उपस्थिति प्रतीकात्मक होती है लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री के बजाय बीजेपी के पीएम के तौर पर अपनी भूमिका निभाई है उससे लोग ऊब गए हैं।

वरिष्ठ विश्लेषक रास बिहारी के विचार इससे इतर हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को हर कोई सुनना चाहता है। आपने प्रचार के दौरान  देखा कि लोग उनके लिए पागल हैं और लोग उनके नाम पर वोट देने आते हैं। वह प्रधानमंत्री हैं लेकिन पार्टी के नेता भी हैं। भाजपा की हार के कई स्थानीय कारण रहे। खासतौर पर रणनीति के स्तर पर भाजपा से चूक हुई। पीएम की रैलियां भी पार्टी की रणनीति का हिस्सा थीं। जिन लोगों ने येदियुरप्पा को हटाकर बोम्मई को सीएम बनाया, वह भी इस हार के लिए जिम्मेदार हैं।

 कांग्रेस को बजरंग दल विवाद का मिला फायदा

राजनीति विश्लेषक शिवम त्यागी का कहना है कि जिस हिसाब से भाजपा सोच रही थी कि बजरंग दल विवाद का उन्हें फायदा मिलेगा लेकिन इसका उल्टा हुआ और कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम मतदाता लामबंद  हुए। इमरान प्रतापगढ़ी ने भी अपने बयानों से तुष्टिकरण करने की कोशिश की। जब पीएम मोदी गुजरात में जीत जाते हैं तो उनके करिश्मे की बात होती है लेकिन हार जाते हैं तो सवाल उठने लग जाते हैं। प्रधानमंत्री के इतने चुनाव प्रचार के बावजूद भाजपा का 60 सीटों पर सिमटना सवाल खड़े करता है।

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