विधानसभा में पेश किये गये बजट को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये लल्लू ने कहा…

उत्तर प्रदेश विधानसभा में मंगलवार को पेश किये गये बजट को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि आंकड़ों की बाजीगरी में माहिर योगी सरकार ने युवाओं और किसानों के साथ छलावा किया है।

लल्लू ने कहा कि 450 रूपये प्रति कुन्तल गन्ने का मूल्य देने का वादा कर सत्ता में आयी भाजपा तीन वर्षों में गन्ने के मूल्य में मात्र 10 रूपये की ही वृद्धि कर पायी है।

उन्होने कहा कि पिछले दो सालों के दौरान राज्य में युवा बेरोजगारों की तादात 12.5 लाख तक बढ़ गयी है। बजट में रिटायर्ड शिक्षकों को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में नौकरी देने की घोषणा बेरोजगार युवाओं के साथ विश्वासघात है वहीं कौशल विकास योजना भी छलावा साबित हुई।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 18 मण्डलों में अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना की घोषणा भी झूठ का पुलिन्दा है और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा घोषित नवोदय विद्यालय को खत्म करने की साजिश है क्योंकि न तो इसमें बजट ही बढ़ाया गया है उसके मुकाबले फीस वृद्धि और सुविधाएं घटायी गयीं हैं।

श्री लल्लू ने कहा कि कृषि पर लागत कम करने, खाद, बीज, पानी, कृषि यन्त्र, कीटनाशक, बिजली आदि के दामों में कमी का कोई प्रावधान बजट में नहीं किया गया है और न ही दूसरे राज्यों की भांति जैसे छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में केन्द्र सरकार द्वारा घोषित कृषि उत्पादित गेहूं, धान एवं तिलहन की फसलों के मूल्य पर प्रति कुंतल 200 रूपये से लेकर 1500 सौ रूपये तक बोनस देने का प्रावधान है, इसे प्रदेश सरकार ने बजट में कोई महत्व नहीं दिया है, जबकि पिछले तीन वर्षों में इन अनिवार्य कृषि उपयोग की चीजों के दामों में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो चुकी है।

उन्होने कहा कि 3200 रूपये प्रति कुंतल गेहूं का मूल्य होना चाहिए था जो नहीं किया गया। इसके अतिरिक्त किसान आयोग का गठन तथा खेतों में रखवाली करने वालों के लिए भत्ता का भी कोई प्राविधान नहीं किया गया है। ऐसे में किसानों की आय दुगुनी करने की घोषणा किसानों के साथ क्रूर मजाक और धोखा है।

शिक्षा बजट में ‘व्यापक कटौती’ पिछले बजट 2019-20 में कुल 48044 करोड़ की घोषणा हुयी थी जबकि इस बजट में 18633 करोड़ रुपये की घोषणा की गयी है, यह शिक्षा के बाजारीकरण का संकेत है वहीं आयुष्मान येाजना में बजट का आवंटन न करना निजीकरण को बढ़ावा देने जैसा है।

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