पिठोरी अमावस्या कल, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

स्टार एक्सप्रेस डिजिटिल : हिंदू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व होता है। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को पिठोरी अमावस्या मनाई जाती है। इस साल पिठोरी अमावस्या 6 सितंबर, सोमवार को पड़ रही है। पिठोरी अमावस्या को कुशोत्पाटिनी अमावस्या भी कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुशोत्पाटिनी का अर्थ है कुशा का संग्रह करना। धार्मिक कार्यों में प्रयोग होने वाली कुशा का इस अमावस्या पर संग्रह किया जाता है। आमतौर पर अमावस्या का उखाड़ा गया कुश का प्रयोग एक महीने तक किया जा सकता है। जानिए पिठोरी अमावस्या का महत्व और शुभ मुहूर्त-

 

 

पिठोरी अमावस्या 2021 शुभ मुहूर्त- अमावस्या तिथि 06 सितंबर को सुबह 07 बजकर 38 मिनट से प्रारंभ होकर 07 सितंबर को सुबह 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगी।

 

 

 

पिठोरी अमावस्या का महत्व- पिठोरी अमावस्या के दिन आटे से मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं। महिलाएं इस दिन आटे से बनी देवियों की पूजा-अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं। इसलिए इसे पिठोरी अमावस्या कहते हैं।

 

 

 

अमावस्या के दिन दान, तप और स्नान का विशेष महत्व है। स्नान के बाद पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

 

 

 

पूजा- विधि – सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है, लेकिन इस समय कोरोना वायरस की वजह से घर से बाहर जाने से बचें। इस समय घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।सूर्य देव को अर्घ्य दें। अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें। इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें। भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना भी करें।

 

 

 

 

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