सिंगापुर में तंगराजू सुपैया को दी गई फांसी पर क्यों मचा है हंगामा

सिंगापुर में दुनिया का सबसे कठोर ड्रग्स कानून है एक किलो गांजे की तस्करी के मुख्य दोषी को दी गई फांसी 

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता
सिंगापुर: सिंगापुर में तंगराजू सुपैया को आज सुबह सुबह फांसी दे दी गई है। तंगराजू सुपैया को मिली फांसी की सजा पर भारी हंगामा मचा हुआ था और पूरी दुनिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सिंगापुर सरकार से अपील की थी, कि तंगराजू सुपैया को फांसी नहीं दी जाए, लेकिन सिंगापुर सरकार ने किसी की भी बात नहीं सुनी।

सिंगापुर में बुधवार को एक भारतीय मूल के शख्स को गांजा तस्करी के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद फांसी की सजा दे दी गई जानकारी के मुताबिक उसपर गांजा तस्करी की साजिश में शामिल होने का आरोप था। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर से फांसी की सजा टालने की बात कही गई थी लेकिन वहां के प्रशासन ने एक ना सुनी संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की तरफ से भी सिंगापुर से बी कहा गया था कि इस फैसले की समीक्षा की जाए और फांसी की सजा रोक दी जाए।

तंगराजू सुपैया की फांसी सजा पर सवाल क्यों?

तंगराजू सुपैया को एक किलो गांजा सिंगापुर से मलेशिया तस्करी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, उनके बचाव पक्ष का कहना था, कि तंगराजू सुपैया को गांजे के साथ पकड़ा नहीं गया था, लेकिन सरकारी वकील का कहना था, कि तंगराजू सुपैया इस तस्करी का मास्टरमाइंड था। सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया, कि इस तस्करी कांड में जो मोबाइल नंबर ट्रेस किए गये थे, वो तंगराजू सुपैया के ही थे।

सिंगापुर के कानून में ड्रग्स के तस्कर के लिए मौत की सजा का कानून है, जबकि ड्रग्स पहुंचाने वाले के लिए कम सख्त सजा का प्रावधान है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है, कि “तंगराजू सुपैया को सजा पुलिस के सामने उसके दिए गये बयानों के आधार पर ठहराया गया था, और कोर्ट में उसे ना वकील की सुविधा दी गई और ना ही उसे कोर्ट की कार्यवाही समझने के लिए दुभाषिये की ही सुविधा दी गई। सिर्फ दो सह-आरोपियों के बयान के आधार पर उसे गुनहगार साबित मान लिया गया, जिनमें से एक सह आरोपी को बरी कर दिया गया।”

तंगराजू सुपैया के परिवार ने क्या कहा?

CNN से बातचीत करते हुए तंगराजू सुपैया की बहन लीलावति ने कहा, कि उसका भाई बेगुनाह था। उसने कहा, कि “जेल के अंदर से भी, वह अपनी बेगुनाही के लिए लड़ना चाहता था।” उसने सीएनएन को बताया, कि “उन्हें विश्वास था, कि एक निष्पक्ष सुनवाई होगी और वह हर कदम पर अपनी बेगुनाही साबित करना चाहते थे।

” वहीं, ट्रांसफॉर्मेटिव जस्टिस कलेक्टिव (टीजेसी), जो स्थानीय उन्मूलनवादी आंदोलन संगठन है, उसने तंगराजू को दोषी ठहराने के लिए इस्तेमाल किए गए सबूतों पर सवाल उठाया और कहा, कि ये सबूत काफी कमजोर थे। टीजेसी ने कहा, कि “तंगराजू के खिलाफ मामला काफी हद तक परिस्थितिजन्य है और अनुमानों पर आधारित था।”

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