जेल में सद्भावना की मिसाल : मुस्लिमों ने रखा व्रत, हिंदू रख रहे रोजा, संग सुन रहे भागवत कथा

आगरा की सेंट्रल जेल में हिंदू बंदी रोजा और मुस्लिम नवरात्रि के रख रहे व्रत

स्टार एक्सप्रेस संवाददाता

आगरा: आगरा की सेंट्रल जेल में बंदियों ने आपसी सद्भावना की मिसाल पेश की है। सुक्रवार से रोज़े सुरु होने पर हिन्दू कैदियों ने भी मुस्लिम भाइयों के साथ रोज़ा रखा और इबादत व दुआ की, दो दर्जन से अधिक हिंदू बंदी रोजा रख रहे हैं। शाम को जेल में भागवत कथा का भी आयोजन किया गया। जेल प्रशासन और जमीयत उलमा ए हिन्द व ऑल इंडिया मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी ने बंदियों के लिए फलाहार, सहरी और इफ्तार की विशेष व्यवस्था की है। जमीअत उलमाए हिंद के प्रवक्ता सगीर अहमद ने रोजेदार बंदियों के लिए इफ्तार का सामान डिप्टी जेलर अलोक सिंह को सौपा। वही जमीअत उलमाए हिंद के प्रवक्ता सगीर अहमद ने बताया कि 43 साल से रोजेदार बंदियों के लिए सामान पहुंचा रहे हैं।

आगरा सेंट्रल जेल को प्रदेश की आदर्श जेल माना जाता है। यहां बंदियों को आजीविका कमाने के लिए तरह – तरह के काम सिखाए जाते हैं। साबुन, कुर्सी, गुलाल, गोबर की लकड़ी से लेकर मनोरंजन के लिए अपना बैंड तक जेल के बंदियों ने बनाया है। इस बार जेल के बंदियों ने व्रत और रोजे रखकर सद्भावना की मिसाल पेश की है।

905 बंदी रख रहे व्रत

जेल अधीक्षक राधाकृष्ण मिश्र ने बताया की इस बार जेल में कुल 905 बंदी नवरात्रि का व्रत रख रहे हैं। इनमें से 25 व्रत रखने वाले मुस्लिम हैं। जेल के नए मैन्युअल में बंदियों के फलाहार की विशेष व्यवस्था है। व्रत रखने वाले बंदियों को दूध, फल और उबले आलू के साथ अन्य फलाहार की चीजें दी जा रही है।

300 बंदी रख रहे रोजा

जेल अधीक्षक ने बताया की शुक्रवार से रमजान शुरू हो गए । इस बार 300 बंदी रोजेदार हैं, जिसमे 25 के लगभग हिंदू बंदी रोजा रख रहे है। रोजा रखने वालों को सहरी में दूध और लच्छे, फेन, टोस्ट आदि दिया जा रहा । अफ्तार में भी खजूर के साथ विशेष पौष्टिक भोजन की व्यवस्था जेल प्रशासन और जमीयत उलमा ए हिंद व ऑल इंडिया मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी द्वारा की गई है। वही जमीयत उलेमा ए हिंद द्वारा रोजेदार बंदियों को तिलावत के लिए तस्वी टोपी क़ुरआन दिए गए।

एक साथ करते हैं इबादत और भजन

सेंट्रल जेल का माहौल इस समय भक्तिमय हो गया है। जेल में हिंदू और मुस्लिम एक साथ भगवान के भजन और खुदा की इबादत में मशगूल हैं। हाथों में ढोलक और मंजीरा लेकर सब भजन गाने में मशगूल हैं। वही रोजेदार बंदी तस्वी तिलावत नमाज़ में मशगूल है।

1400 साल पुरानी परंपरा काे निभा रहे हैं कैदी

वहीं, सूर्यास्त के समय रोजा इफ्तार की व्यवस्था होती है. इफ्तारी से पहले नमाज अदा की जाती है. सगीर अहमद ने बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोग 1400 साल से चले आ रहे पारंपरिक तरीके से इफ्तार करते हैं. इस दौरान वे सबसे पहले खजूर और पानी पीते हैं. इसके बाद खाना खाते हैं।

सुक्रवार से शुरू हो गई भागवत

सेंट्रल जेल अधीक्षक राधाकृष्ण मिश्रा ने बताया की शुक्रवार से रोजे और भागवत दोनों शुरू हो गए। रोजेदार बंदी नमाज पढ़ रहे हैं और हिंदू बंदी भागवत कथा का रसपान कर रहे। वही 31 मार्च को सभी बंदियों के लिए भंडारे का आयोजन किया जाएगा. आयोजन का उद्देश्य बंदियों को भक्ति मार्ग के जरिए जीवन में बदलाव लाना है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Back to top button