Etawa News: प्रभु की भक्ति में लीन होने पर विघ्न ठीक नही:आचार्य साकेत बिहारी

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

महेवा,इटावा। महेवा विकास खण्ड क्षेत्र के ग्राम ढकातल पुराबली में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा प्रवक्ता आचार्य साकेत बिहारी दीक्षित ने ध्रुव चरित्र में बताया कि सतयुग के दौरान अवधपुरी में राजा उत्तानपद राज किया करते थे। उनकी बड़ी रानी का नाम सुनीति था और उनके कोई संतान नहीं थी। देवर्षि नारद रानी को बताते हैं कि यदि तुम दूसरी शादी करवाओगी तो संतान प्राप्त होगी। रानी अपनी छोटी बहन सुरुचि की शादी राजा से करवा देती है।

कुछ समय बाद सुरुचि को एक संतान की उत्पत्ति होती है। जिसका नाम उत्तम रखा। उसके कुछ दिनों के बाद बड़ी रानी भी एक बालक ध्रुव को जन्म देती है। 5 वर्ष बाद जब राजा उत्तम का जन्म दिन मना रहे थे तो बालक ध्रुव भी बच्चों के साथ खेलता हुआ उनकी गोद में बैठ गया, जिस पर सुरुचि उठा देती है और उसे कहती है कि यदि अपने पिता की गोद में बैठना है तो अगले जन्म तक इंतजार कर, बालक ध्रुव यह बात चुभ जाती है और वह वन में जाकर कठिन तपस्या करने लगते हैं।

उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उन्हें दर्शन देते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देने का वचन देते हैं। इस प्रसंग से यह शिक्षा मिलती है कि किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिए और प्रभु की भक्ति में कोई विघ्न नहीं डालना चाहिए। कथा में सुनाए गए भजनों पर श्रद्धालु झूम उठें। कथा के परिक्षित मुलायम सिंह पाल व परिवार ने मिल कर आरती उतारी है।

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