CBI की लैंड फॉर जॉब स्कैम में लालू फैमि​ली से पूछताछ जारी, जानिए क्या है लेटेस्ट अपडेट

स्टार एक्सप्रेस संवाददता

 

नई दिल्ली: करोड़ों की लैंड, गिफ्ट डीड का जाल और रेलवे में नौकरियां… लैंड फॉर जॉब स्कैम की हर एक डिटेल जिसमें घिर गई है लालू फैमिली सोमवार को राबड़ी देवी से पूछताछ हुई और आज लालू यादव से सवाल-जवाब किए गए. ये घोटाला तब का है जब लालू केंद्र में रेल मंत्री हुआ करते थे। आरोप है कि लालू परिवार ने जमीन के बदले अयोग्य उम्मीदवारों को रेलवे में नौकरी पर रखा। इस पूरे घोटाले की एक-एक डिटेल जानिए।

पहले जमीन ली गई। फिर रेलवे में सब्सिट्यूट के तौर पर भर्ती की गई। बाद में रेगुलर कर दिया गया। इस सारे खेल में एक लाख वर्ग फीट से ज्यादा की जमीन ले ली गई। ऐसा सात उम्मीदवारों के साथ किया गया। और उन लोगों को रेलवे में नौकरी दी गई, जो इसके लायक भी नहीं थे। और ये सब हुआ जमीन के बदले में। ये कहानी है ‘लैंड फॉर जॉब स्कैम’ यानी ‘जमीन के बदले नौकरी घोटाला’ की।

बिहार की सियासत में इन दिनों लैंड फॉर जॉब स्कैम छाया हुआ है। सोमवार को सीबीआई की टीम पटना स्थित राबड़ी देवी के घर पर पहुंची और कई घंटों तक उनसे पूछताछ की। जबकि, आज सीबीआई ने लालू यादव से दिल्ली में पूछताछ की।

लैंड फॉर जॉब स्कैम के मामले में हाल ही में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू यादव के परिवार को समन जारी किया है। इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती को 15 मार्च को अदालत में पेश होना है।

ये घोटाला उस समय का है, जब लालू यादव रेल मंत्री थी. दावा है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले उनसे जमीन ली थी। लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे।

इस मामले में पिछले साल 10 अक्टूबर को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था। पिछले साल ही जुलाई में सीबीआई ने भोला यादव को गिरफ्तार किया गया था, जो लालू यादव के रेल मंत्री रहते उनके ओएसडी थे।

 

किसे नौकरी दी, किससे जमीन ली ?

1. ललन के पोते को रेलवे में मिली नौकरी

मार्च 2008 में विशुन देव राय ने अपनी 3,375 वर्ग फीट जमीन सिवान के रहने वाले ललन चौधरी को बेच दी. उसी साल ललन के पोते पिंटू कुमार को पश्चिमी रेलवे में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया।  इसके बाद फरवरी 2014 में ललन ने ये जमीन लालू यादव की बेटी हेमा यादव को दे दी।

 

2. किशुन देव राय के परिवार के तीन लोगों को नौकरी

सीबीआई ने शुरुआती जांच में पाया था कि 6 फरवरी 2008 को पटना के रहने वाले किशुन देव राव ने अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी के नाम पर की थी।  ये जमीन 3.75 लाख रुपये में बेची गई। उसी साल राव के परिवार के तीन सदस्यों राज कुमार सिंह, मिथिलेश कुमार और अजय कुमार को मुंबई में ग्रुप डी में भर्ती किया गया।

3. किरण देवी से जमीन ली, बेटे को नौकरी दी

नवंबर 2007 में पटना की रहने वालीं किरण देवी ने अपनी 80,905 वर्ग फीटी की जमीन लालू यादव की बेटी मीसा के नाम पर कर दी। ये सौदा 3.70 लाख रुपये में हुआ। बाद में उनके बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया।

4. हृदयानंद चौधरी ने तोहफे में दे दी जमीन

मार्च 2008 में ब्रज नंदन राय ने 3,375 वर्ग फीटी की जमीन गोपालगंज के रहने वाले ह्रदयानंद चौधरी को 4.21 लाख रुपये में बेच दी।  ह्रदयानंद चौधरी को 2005 में हाजीपुर में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया था। बाद में ह्रदयानंद चौधरी ने ये जमीन तोहफे में लालू यादव की बेटी हेमा के नाम पर कर दी।   सीबीआई ने जांच में ह्रदयानंद चौधरी लालू यादव का रिश्तेदार नहीं था और जिस समय ये जमीन दी गई, उस समय उसकी कीमत 62 लाख रुपये थी।

5. संजय राय और परिवार के दो लोगों को नौकरी

पटना के महुआबाग में रहने वाले संजय राय ने फरवरी 2008 में 3,375 वर्ग फीट का प्लॉट राबड़ी देवी को बेच दिया था।  ये डील 3.75 लाख रुपये में हुई थी।  सीबीआई ने जांच में पाया कि इसके बदले संजय राय और उनके परिवार के दो सदस्यों को रेलवे में नौकरी दी गई।

6. हजारी राय के दो भतीजों को मिली नौकरी

पटना के रहने वाले हजारी राय ने फरवरी 2007 में 9,527 वर्ग फीट जमीन एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी। जमीन की बिक्री 10.83 लाख रुपये में हुई। बाद में हजारी राय के दो भतीजों दिलचंद कुमार और प्रेमचंद कुमार को रेलवे में नौकरी मिली।  जांच में सामने आया कि 2014 में एके इन्फोसिस्टम की सारी संपत्तियां और अधिकार राबड़ी देवी और मीसा भारती के पास चले गए।   2014 में राबड़ी देवी ने इस कंपनी के ज्यादातर शेयर खरीद लिए और डायरेक्टर बन गईं।

7. लाल बाबू राय से जमीन लेकर बेटे को नौकरी पर रखा

मई 2015 में पटना के रहने वाले लाल बाबू राय ने 13 लाख रुपये में 1,360 वर्ग फीट की जमीन राबड़ी देवी को बेच दी थी।  सीबीआई की जांच में सामने आया कि 2006 में लाल बाबू राय के बेटे लाल चंद कुमार को रेलवे में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया था।

कब हुआ ये सारा ‘खेल’?

– 2004 से 2009 में केंद्र में यूपीए सरकार थी. उस सरकार में लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थी। जमीन के बदले नौकरी का ये सारा खेल उसी दौरान हुआ।

– सीबीआई ने इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा यादव और हेमा यादव समेत कुछ उम्मीदवारों को आरोपी बनाया है।

– सीबीआई का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे, तब उन्होंने ग्रुप डी में सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती के बदले जमीनें लीं और इन्हें अपने परिवार के नाम पर खरीदा गया।

– सीबीआई ने आरोप लगाया है कि लालू यादव जब रेल मंत्री थे, तो उन्होंने जमीन के बदले सात अयोग्य उम्मीदवारों को रेलवे में नौकरी दी।

 

 क्या आरोप हैं लालू परिवार पर ?

– लैंड फॉर जॉब स्कैम 14 साल पुराना है।  इस मामले में पिछली साल 18 मई को सीबीआई ने केस दर्ज किया था।  सीबीआई के मुताबिक, ललोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और जब उनके परिवार ने जमीन का सौदा किया, तब उन्हें रेगुलर कर दिया गया।

– सीबीआई का कहना है कि पटना में लालू यादव के परिवार ने 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन पर कथित तौर पर कब्जा कर रखा है। इन जमीनों का सौदा नकद में हुआ था। यानी,लालू परिवार ने नकद देकर इन जमीनों को खरीदा था। सीबीआई के मुताबिक, ये जमीनें बेहद कम दामों में बेच दी गई थीं।

– सीबीआई ने ये भी पाया कि जोनल रेलवे में सब्स्टीट्यूट की भर्ती का कोई विज्ञापन या पब्लिक नोटिस जारी नहीं किया गया था।   लेकिन, जिन परिवारों ने यादव परिवार को अपनी जमीन दी, उनके सदस्यों को रेलवे में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नियुक्ति दी गई।

– ED के मुताबिक, कुछ उम्मीदवारों के आवेदनों को अप्रूव करने में जल्दबाजी दिखाई गई। कुछ आवेदनों को तीन दिनों में ही अप्रूव कर दिया गया। पश्चिम मध्य रेलव और पश्चिम रेलवे ने उम्मीदवारों के आवेदनों को बिना पूरे पते के भी अप्रूव कर दिया और नियुक्त कर दिया।

– कुल मिलाकर लालू यादव एंड फैमिली ने कथित तौर पर 7 उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरी दी थी। इनमें से पांच जमीनों की बिक्री हुई थी, जबकि दो गिफ्ट के तौर पर दे दी गई थी।

 

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