उम्रकैद की सजा काट रहे अरुण गवली अब अदालत से रहम की भीख मांग रहा ये अंडरवर्ल्ड डॉन 

स्टार एक्सप्रेस संवाददता

मुंबई: अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के सामने याचिका दायर कर रहम की भीख मांगी है। अरुण गवली ने अपने फेफड़ों और पेट से संबंधित बीमारी का उल्लेख करते हुए सजा को माफ किए जाने की अपील की है। न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेनेजेस की खंडपीठ ने अरुण गवली की याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया है।

कत्ल के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच के सामने याचिका दायर कर रहम की भीख मांगी है। अरुण गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर कर महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग की ओर से साल 2006 में जारी एक सर्कुलर का हवाला दिया है  जिसमें कहा गया था कि जिन दोषियों ने चौदह साल की कैद की सजा काट ली है और उनकी उम्र 65 साल हो चुकी है, उन्हें जेल से रिहा किया जा सकता है।

 गवली की याचिका क्या कहती है 

अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली मई 2008 से जेल में बंद है। उसने अदालत में याचिका दायर कर कहा है कि वह अब 70 वर्ष का हो गया है। दरअसल, साल 2006 में महाराष्ट्र सरकार ने एक सर्कुलर जारी किया था। उसी का उल्लेख करते हुए उसने कहा कि 20 जनवरी 2006 की सरकारी अधिसूचना के अनुसार वो 14 साल की कैद पूरी होने  के बाद रिहा होने का हकदार है, क्योंकि उसने 65 वर्ष से अधिक की आयु पूरी कर ली है और वह पुरानी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित है।

अरुण गवली की दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है

रिट याचिका में महाराष्ट्र सरकार के 2015 के एक सर्कुलर का भी उल्लेख किया गया है। जिसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत बुक किए गए अपराधी इसके हकदार नहीं हैं और उन्हें 2006 की अधिसूचना से छूट दी गई है। गवली ने महाराष्ट्र कारागार (सजाओं की समीक्षा) नियम, 1972 के नियम-6 के उप-नियम (4) की पूर्वव्यापी प्रयोज्यता को चुनौती दी है, जिसे 1 दिसंबर, 2015 की अधिसूचना के माध्यम से जोड़ा गया था। इसके नियम 6 के तहत 20  जनवरी, 2006 को मकोका अधिनियम के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्तियों को अधिसूचना का लाभ लेने के लिए संशोधित किया गया था। रिट याचिका में उल्लेख किया गया है कि गवली को 2012 में दोषी ठहराया गया था, इसलिए 2015 की अधिसूचना उस पर लागू नहीं होती है।

15 मार्च तक उसका जवाब देने के लिए कहा है

गवली ने रिट याचिका में अपने फेफड़ों और पेट से संबंधित बीमारी का उल्लेख करते हुए अपनी सजा को माफ किए जाने की प्रार्थना की है। न्यायमूर्ति विनय जोशी और न्यायमूर्ति वाल्मीकि मेनेजेस की खंडपीठ ने अरुण गवली की दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है और 15 मार्च तक उसका जवाब देने के लिए कहा है।

 पूरा मामला ये था

साल 2007 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांडेकर को विजय गिरि नाम के एक शख्स ने साकीनाका, अंधेरी में उनके आवास पर सीधे गोली मार दी थी। जांच से पता चला कि जमसांडेकर को अरुण गवली के हुक्म पर खत्म किया गया था, जिसे जामसांडेकर के दुश्मनों ने 30 लाख रुपये की सुपारी दी थी। दरअसल, जमसांडेकर और आरोपियों के बीच एक जमीन के सौदे को लेकर विवाद था

2008 में हुई थी अरुण गवली की गिरफ्तारी 

अरुण गवली को इस मामले में मई 2008 में गिरफ्तार किया गया था, उस वक्त वह विधायक था। इसके बाद निचली अदालत ने 2012 में उसे दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी निचली अदालतों के आदेश को बरकरार रखा।

अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली की कहानी 

मुंबई धमाकों के बाद सभी बड़े अंडरवर्ल्ड डॉन मुंबई छोड़ चुके थे। पूरा मैदान खाली था। अब जुर्म के दो खिलाड़ी ही मैदान में थे। वो खिलाड़ी थे अरुण गवली और अमर नाइक। दोनों के बीच मुंबई के तख्त को लेकर गैंगवार शुरू हो चुका था। अरुण गवली के शार्पशूटर रवींद्र सावंत ने 18 अप्रैल 1994 को अमर नाइक के भाई अश्विन नाइक पर जानलेवा हमला किया लेकिन वह बच गया।

 

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