सिगरेट हुआ महंगा, खुली बिक्री पर भी रोक

लखनऊ ()। सिगरेट, सिगार, पान मसाला और तंबाकू से बने अन्य उत्पाद यूपी में महंगे हो गए हैं। प्रदेश सरकार ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर वैट बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई है। इससे राज्य सरकार को सालाना 200 करोड़ रुपए अधिक राजस्व तो मिलेगा, लेकिन सुट्टेबाजों और सिगार का नशा करने वालों को अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी।

बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सिगरेट और पान मसाला, गुटखा पर वैट बढ़ाने का फैसला अपने गरीब मजदूर भाइयों की सेहत को ध्यान में रखकर किया गया है, उन्होंने कहा कि दाम बढ़ने से वे इसका सेवन कम करेंगे। खुले में सिगरेट नहीं मिलने का सीधा मतलब है कि फुटकर दुकानदार पैकेट खोल कर सिगरेट नहीं बेच सकेंगे। इसके पीछे का तर्क यह है कि खुली सिगरेट की बिक्री से इससे होने वाले नुकसान की चेतावनी का पता नहीं चल पता है। इस बैठक में पुलिस भवन, सिग्नेचर बिल्डिंग के निर्माण पर भी मुहर लगी। इसके अलावा नक्सलियों का आत्मसमर्पण और पुनर्वास का प्रस्ताव भी पारित किया गया।

500 नई एम्बुलेंस खरीदेगी सरकार

कैबिनेट में सहकारी चीनी मिल संघ को 139 करोड़ की गारंटी और खाद्य तेल परिवहन में मेमो व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव भी पारित किया गया है। इसके अलावा विधानसभा सचिवालय सेवा नियमावली संशोधन का प्रस्ताव, विधानसभा सत्र के सत्रावसान का अनुमोदन, 500 नई एम्बुलेंस खरीदे जाने का प्रस्ताव, सिगरेट की खुली बिक्री पर प्रतिबंध का प्रस्ताव, सिगरेट, गुटखा, पान मसाला पर वैट बढ़ाने का प्रस्ताव, प्रशिक्षित कृषि उद्यमी स्वावलंबन योजना का प्रस्ताव,191 मॉडल स्कूलों को पीपीपी मॉडल पर चलाने का प्रस्ताव, हाईकोर्ट जजों के आवास के लिए मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का प्रस्ताव, आश्रम पद्धति विद्यालयों को सीबीएसई से सम्बद्ध का प्रस्ताव भी पारित हुआ है। कैबिनेट ने गाजियाबाद और कन्नौज में विधि विज्ञान प्रयोगशाला का प्रस्ताव भी पारित किया है। कैबिनेट ने लेखपाल सेवा नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव, ऑटो रिक्शा में जीपीएस सिस्टम लगाने का प्रस्ताव और परिवहन बसों में जीपीएस और सीसीटीवी का प्रस्ताव भी पारित कर दिया।

नक्सलियों हेतु आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति को मंजूरी

उत्तर प्रदेश सरकार की कैबिनेट ने नक्सल प्रभावित जिलों, क्षेत्रों में नक्सलियों के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति का उद्देश्य नक्सलियों की हिंसात्मक गतिविधियों एवं कट्टर नक्सलियों के जाल में फंसे हुए ऐसे युवाओं को फिर से समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है, जो बहकावे में आकर नक्सलवादी आन्दोलन में शामिल हो गए थे तथा अब वहां अपने को जाल में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं। यह नीति युवाओं को अत्मसमर्पण हेतु प्रेरित करते हुए लाप्रद रोजगार एवं उद्यमशीलता के अवसर उपलब्ध कराकर उनको पुनः हिंसा का मार्ग अपनाने से रोकने का उद्देश्य रखती है।

यूपी सरकार की यह नीति ऐसे आत्मसमर्पणों को हतोत्साहित करती है, जो मात्र सरकार द्वारा प्रदान किए जा रहे लाभों को प्राप्त कर अपना हित साधने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। यह नीति यह भी सुनिश्चित करती है कि जो नक्सली आत्मसमर्पण करेगा वह कभी आकर्षित होकर नक्सली गतिविधियों में पुनः शामिल न हो सके। नीति के तहत प्रत्येक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली की स्क्रीनिंग जिले स्तर पर एक जिला स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा की जाएगी, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट, जनपदीय वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, अपर पुलिस महा निदेशक, अभिसूचना द्वारा नामित अभिसूचना विभाग के प्रतिनिधि व सम्बन्धित केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (जहां तैनात हैं) के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे।

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