सूर्य को जल चढ़ाते समय भूल से भी न करें ये गलतियाँ अथवा होगा बड़ा नुकसान

सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाने की परंपरा पुराने समय से ही चली आ रही है। इस परंपरा से धार्मिक के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। सूर्य को जल चढ़ाने से त्वचा की चमक बढ़ती है, आलस्य दूर होता है, आंखों की रोशनी बढ़ती है। इस परंपरा के संबंध में भविष्य पुराण के ब्राह्म पर्व में श्रीकृष्ण और सांब के संवाद है।

अर्थ – उगते सूर्य में मृत्यु से सभी कारणों यानी कि बड़ी से बड़ी बीमारियों को नष्ट करने की क्षमता होती है, इसलिए सभी को रोज सुबह कुछ समय सूर्य की किरणों में बिताना चाहिए।

सूर्यस्त्वाधिपातिर्मृत्यो रुदायच्छतु रशिमभि:।
अर्थ – मृत्यु का भय खत्म करके, सभी रोगों का मुक्ति पाने के लिए सूर्य के प्रकाश से संपर्क बनाए रखना चाहिए।

मृत्यो: पड्वीशं अवमुंचमान:। माच्छित्था सूर्यस्य संदृश:।।
अर्थ – सूर्य के प्रकाश में रहना अमृत लोक में रहने के समान होता है।

सूर्योपनिषद् के अनुसार- सूर्या को साक्षात श्रीहरि नारायण का प्रतीक माना जाता है। सूर्य ही ब्रह्मा के आदित्य रूप हैं। एकमात्र सूर्य ही ऐसे देव हैं, जिनके पूजन-अर्चन का प्रत्यक्ष फल प्राप्त होता है और मनोकामनाएं पूरी होती है।

 

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