बीएचयू से ‘हिंदू’ शब्द हटाने को लेकर उग्र हो गए थे अटल बिहारी बाजपेई !

वाराणसी . भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को गुरुवार को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया । अटल बिहारी के निधन की सूचना मिलते ही देशभर में शोक की लहर दौड़ गई।

लखनऊ अटल बिहारी बाजपेई की कर्मभूमि के साथ उनका लंबे समय तक संसदीय क्षेत्र रहा। यहां उनके करीबियों और जानने वालों में भी शोक की लहर दौड़ गई है। उनकी यादों को समेटे लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपनी संवेदनाएं प्रकट की।

वहीं जब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदू शब्द हटाने की कोशिश चली थी। यह बात पता चलते ही शांत स्वभाव वाले अटल बिहारी वाजपेयी भी उग्र हो उठे थे। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के कार्यकाल के दौरान वर्ष 1965 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री मुहम्मद करीम छागला ने संसद में एक विधेयक पेश कर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय नाम से हिंदू शब्द हटाने का प्रस्ताव रखा यह तर्क देते हुए कि इससे साप्रदायिकता झलकती है।

विधेयक के पेश होते ही बीएचयू समेत पूरे पूर्वाचल से होकर देशभर में आंदोलन शुरू हो गए। अगुवाई अटल जी ने की। उन्होंने सरकार को चुनौती देते हुए बेबाक कहा कि था कि बीएचयू की हर ईट पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय लिखा है। महामना की बगिया से हिंदू शब्द हटाना नामुमकिन है।

बीएचयू के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कौशल किशोर मिश्र बताते हैं कि उस समय बीएचयू छात्रसंघ अध्यक्ष थे राम बचन पाडेय। रामबचन की अगुवाई में चल रहे आंदोलन में राम राज्य परिषद, विद्यार्थी परिषद और राष्ट्रीय जनसंघ भी शामिल हुआ।

आंदोलन के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय बनारस आए। बेनियाबाग मैदान में सभा हुई। उस सभा को पंडित दीनदयाल के अलावा अटल बिहारी वाजपेयी व हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने भी संबोधित किया।

कौशल किशोर मिश्र के अनुसार बनारस में अटल जी का वह पहला सार्वजनिक संबोधन था। उनके भाषण ने युवाओं में जोश भरने के साथ आंदोलन को नई धार दी थी।

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