दगड़ूसेठ गणपति दर्शन के लिए लगती है भक्तों की भीड़, जानें मंदिर से जुड़ी कुछ बातें

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : भगवान गणेश को हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा मान्यता दी गई है। हर शुभ काम से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, फिर चाहें शादी हो या फिर कोई भी शुभ काम। सभी देवी-देवताओं से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। वहीं देश-विदेश में गणपति के कई विशाल मंदिर भी हैं, जहां हर साल भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

 

 

 

ऐसे में आज हम बात करने वाले हैं महाराष्ट्र के पूणे में स्थित ‘श्रीमंत दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर’ के बारे में। वैसे तो साल के किसी भी दिन ये मंदिर खूबसूरत लगता है, लेकिन गणेश उत्सव के दौरान यहां अलग ही रौनक देखने को मिलती है। खूबसूरत मंदिर की सजावट और आकर्शक रंगों के कपड़े और फूलों से सजे गणपति देखने का अलग ही मजा है। आइए, आज आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातें।

 

 

 

1) मंदिर का नाम – गणपति के इस मंदिर का नाम बेहद ही अलग है, वहीं लोगों के मन में इसके नाम को लेकर कई तरह के सवाल रहते हैं कि आखिर इसे दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर क्यों कहा जाता है। दगड़ूसेठ एक प्रसिद्ध हलवाई था, जिसने इस मंदिर का निर्माण कराया था और तभी से इस मंदिर को दगड़ूसेठ हवलवाई मंदिर के नाम से जाना जाता है।

 

 

 

 

2) मंदिर निर्माण – बताया जाता है कि दगड़ूसेठ कलकत्ता से पूणे मिठाइयों का काम करने आए थे। इस दौरान उनके साथ उनकी पत्नी और बेटा भी साथ ही आए थे। उस दौरान पूणे में प्लेग महामारी फैली हुई थी, तभी दगड़ूसेठ हलवाई ने अपने बेटे को खो दिया था। बेटे की आत्मा शांति के लिए दगड़ूसेठ हलवाई ने पंडित से बात की तो उन्होंने भगवान गणेश का मंदिर बनवाने की सलाह दी। पंडित जी की सलाह पर वर्ष 1893 में दगड़ूसेठ हलवाई ने एक भव्य गणपति मंदिर का निर्माण कराया और गणपति प्रतिमा स्थापित की। पूरे महाराष्ट्र में इस मंदिर को बहुत पवित्र माना जाता है। यहां सुबह से ही भक्तों की भीड़ लग जाती है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिक में कोई भी मुराद अधूरी नहीं रहती।

 

 

 

3) पहला गणेश उत्सव – रिपोर्ट्स की माने चो सबसे पहले फ्रीडम फाइटर लोतमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इस मंदिर में गणेश उत्सव की शुरूआत की थी। तब से ही हर साल यहां पर गणेश उत्सव की धूम लगी रहती है।

 

 

 

4) प्रतिमा की बनावट – दगड़ूसेठ गणपति मंदिर में भगवान गणेश 7.5 फीट ऊंचे हैं और 4 फीट चौड़े हैं। इस प्रतिमा के केवल चेहरे पर 8 किलो सोने का काम किया गया है। इस प्रतिमा में गणपति के दोनों कान सोने के हैं। वहीं प्रतिमा को 9 किलो से भी अधिक वेट का मुकुट बनाया गया है। इस मंदिर में गणपति जी को भारी सोने की ज्वेलरी से सजाया गया है।

 

 

 

कैसे पहुंचे गणपति मंदिर – पुणे आप बाई रोड, ट्रेन या वायु मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। पुणे के रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी 12 किलोमीटर है।

 

 

 

 

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