जातीय सम्मेलनो के सहारे अपनी नैया पार लगाने की जुगत में भाजपा

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल

डेस्क. प्रदेश स्तर पर जातिवार सामाजिक प्रतिनिधि सम्मेलन करने वाली भाजपा अब जिलों तक जातीय समीकरण साधेगी। इसके लिए राज्य के सभी 75 जिलों में पिछड़े और दलितों के सम्मेलन किए जाएंगे। इन सम्मेलनों में संबंधित जिलों के पिछड़ी और दलित जातियों के प्रमुख चेहरों के जरिए पार्टी जातीय गोलबंदी करेगी।

सम्मेलनों की तैयारियों को लेकर भाजपा के राज्य मुख्यालय पर शनिवार को प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने पार्टी के ओबीसी और अनुसूचित मोर्चा के पदाधिकारियों संग अलग-अलग बैठकें कीं। इन बैठकों में पार्टी की आगामी यात्राओं को लेकर भी चर्चा की गई।

 

आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। सर्वाधिक जोर सोशल इंजीनियरिंग और बूथ प्रबंधन पर है। पार्टी ने पिछले एक महीने में लखनऊ में विभिन्न जातियों के करीब ढाई दर्जन सम्मेलन किए।

 

अब सामाजिक ताने-बाने को चुनावी दृष्टि से और दुरुस्त करने के लिए जिला स्तर पर सम्मेलन किए जाएंगे। पार्टी सूत्रों की मानें तो पिछड़ी जातियों के सम्मेलन 15 से 21 दिसंबर के बीच प्रदेश के सभी जिलों में आयोजित किए जाएंगे।

 

हर सम्मेलन में आठ से दस हजार लोगों के जुटान की योजना बनाई गई है। इस बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष और ओबीसी मोर्चा के प्रभारी दयाशंकर सिंह, मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।

 

वहीं अनुसूचित मोर्चा की बैठक में भी जिलों में होने वाले सम्मेलनों की रूपरेखा तय करने, पार्टी की आगामी छह यात्राओं की तैयारी सहित अन्य विषयों पर चर्चा की गई। इस बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष और मोर्चा के प्रभारी देवेंद्र सिंह, मोर्चा के अध्यक्ष रामचंद्र कनौजिया सहित अन्य मौजूद रहे।

 

भाजपा पहले से एक व्यक्ति एक पद की हिमायत करती रही है। शनिवार को हुई अनुसूचित मोर्चे की बैठक में एक बार फिर प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल ने स्पष्ट कर दिया कि जो लोग चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें दावेदारी करने से पहले पद छोड़ना होगा। संगठन में पद पर रहते हुए किसी को टिकट नहीं मिल सकेगा।

 

पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनाव लड़ने के संबंध में जब उन्होंने सवाल किया तो कुछ पदाधिकारियों ने हाथ उठा दिया। तब उन्होंने मुस्कुराते हुए स्पष्ट कर दिया कि पद पर रहते हुए चुनाव लड़ने की बात भूल जाएं। उनका रुख देख, उठे हुए हाथ तुरंत नीचे हो गए। वे लोग भी सचेत हो गए जो हाथ उठाने से पहले हवा का रुख भांपने का प्रयास कर रहे थे।

 

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