एक्सपर्ट का दावा, भारत के बड़े शहरों पर ओमिक्रॉन वैरिएंट का सबसे ज्यादा खतरा
स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : कोरोना वायरस के नए ओमिक्रॉन वैरिएंट का असर सबसे ज्यादा भारत के बड़े शहरों में दिखेगा। टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स ऐंड सोसायटी के डायरेक्टर और सेंटर फॉर सेल्यूलर ऐंड मॉलीक्यूलर बायोलॉजी के पूर्व प्रमुख डॉक्टर राकेश मिश्रा ने एक निजी न्यूज को दिए इंटरव्यू में यह दावा किया है। उन्होंने कहा है कि लोगों के एक से दूसरी जगह जाने यानी ट्रैवल करने के कारण ओमिक्रॉन शुरुआत में भारत के प्रमुख शहरों में फैलेगा।डॉक्टर मिश्रा ने कहा कि भारतीय टीकों सहित अन्य वैक्सीन इस वैरिएंट पर कारगर रहेंगी, लेकिन इसके तेजी से प्रसार का जोखिम बना रहेगा। चूंकि, ओमिक्रॉन वैरिएंट के केस एसिम्टोमैटिक यानी हल्के लक्षण वाले हैं, इसलिए डेल्टा वैरिएंट की तुलना में इसके तेजी से फैलने की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि लोग इसे सामान्य सर्दी-जुकाम समझकर नजरअंदाज कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘बीते कुछ दिनों में हमने दो-चार मामलों का पता लगाया ह, लेकिन हम कितने नमूनों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेज रहे हैं? अगर हम 100 प्रतिशत की सिक्वेंसिंग करें, तब ही आप पक्का बता सकते हैं कि यह वैरिएंट कितने लोगों में और कितनों में नहीं। कई लोग हल्के लक्षण या बिना लक्षण के हैं, जो इसे फैला रहे हैं। इस संक्रमण के साथ यही समस्या है कि 70 से 80 प्रतिशत लोगों में लक्षण नहीं है और लोगों को यह सामान्य सर्दी-खांसी लग रहा है। लक्षण गंभीर भी नहीं है क्योंकि लोगों को सुगंध जाने या ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याएं भी नहीं हो रही हैं।’
भारत में फिलहाल ओमिक्रॉन वैरिएंट के चार मामलों की पुष्टि हो गई है, जिनमें से तीन विदेश से आए थे। ओमिक्रॉन का पहला मामला 66 वर्षीय दक्षिण अफ्रीकी नागरिक में पाया गया था, जो कोरोना निगेटिव होने के बाद भारत से जा चुका है। इसके अलावा कई सालों से जिम्बाब्वे में रह रहे 72 वर्षीय एनआरआई में इसकी पुष्टि हुई है, अपने ससुर से मिलने गुजरात के जामनगर आए थे। दक्षिण अफ्रीका से आए एक 33 वर्षीय मरीन इंजीनियर में भी ओमिक्रॉन वैरिएंट पाया गया है। हालांकि, इस शख्स ने कोरोना टीका नहीं लिया है। सिर्फ बेंगलुरु में मिले 46 वर्षीय संक्रमित डॉक्टर ही ऐसे हैं, जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है।