उत्तर-पूर्व में सिटीजनशिप बिल के विरोध को रोकेंगे राम माधव?
बारीकियों की जानकारी देने से बचते हुए राम माधव ने बोला कि बीच का रास्ता निकालने के लिए वार्ता जारी है. पार्टी नेतृत्व सभी सहयोगियों व असहमति जताने वाले दूसरे नेताओं से बात कर रहा है. साथ ही साथ हमें लोगों से किया हुआ वादा भी पूरा करना है. असम में असम गण परिषद के बीजेपी से अलग होने के बाद सिंह ने बोला था कि उत्तर पूर्व के सभी मुख्यमंत्रियों से बात की जाएगी.
सिटिजनशिप बिल 1955 में संशोधन के बाद नया बिल पकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान के हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बौद्ध व ईसाई धर्म के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को धार्मिक आधार पर हिंदुस्तान की नागरिकता देता है. नया बिल लोकसभा से पास हो चुका है मगर राज्यसभा में अब भी अटका हुआ है. असम के लोग इस नए बिल को अपने लिए खतरा मानते है व उनके मुताबिक यह असम संधि के विरूद्ध है, जिसके मुताबिक 24 मार्च 1971 के बाद प्रदेश में आने वाला विदेशी नागरिक माना जाएगा.
ये सहयोगी कर रहे विरोध
विरोध करने वालों में मेघालय गवर्नमेंट में बीजेपी की सहयोगी नेशनल पीपल्स फ्रंट, नागालैंड गवर्नमेंट में सहयोगी नेशनल डेमोक्रेटिक पीपल्स फ्रंट, त्रिपुरा में बीजेपी की सहयोगी स्वदेशी पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी), मिजोरम की सत्ताधारी पार्टी मिजो नेशनल फ्रंट शामिल है.
राज्यसभा में पहले से ही संख्याबल के मामले में पिछड़ी बीजेपी को सिटीजनशिप बिल के मुद्दे पर बिहार गवर्नमेंट में सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का भी साथ नहीं मिल रहा है.जदयू ने इस बिल के विरोध में वोट करने की बात कही है. मगर राम माधव की मानें तो सदन में वोटिंग से पहले वह नाराज साथियों को मना लेंगे.