आज सुप्रीम कोर्ट में 9 जजों का शपथ ग्रहण, जानें किन-किन जजों ने ली शपथ?

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : देश के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमणा ने आज 9 नए जजों को पद की शपथ दिलवाई है। मंगलवार को 9 जजों ने एक साथ सुप्रीम कोर्ट के जज के पद की शपथ लीए जो सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हुआ है। सुप्रीम कोर्ट में कुल 34 जजों की स्वीकृत संख्या है। इसमें अभी 24 जज कामकाज देख रहे हैं। ऐसे में 9 जजों की नियुक्ति से काफी राहत मिलने वाली है। कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान रखते हुए प्रगति मैदान मेट्रो स्टेशन के पास अतिरिक्त भवन परिसर में सुप्रीम कोर्ट के नए सभागार में आयोजित कार्यक्रम में चीफ जस्टिस एनवी रमणा ने 9 नवनियुक्त न्यायाधीशों को शपथ दिलाई। सुप्रीम कोर्ट के जज को नियुक्त करने की क्या प्रक्रिया और क्या परंपराएं हैं। एक परंपरा के हिसाब से इनकी नियुक्ति की जाती है।

 

 

 

आज जिन 9 जजों ने शपथ ली हैए उनमें कौन-कौन से जजों का नाम शामिल है। चीफ जस्टिस ने कर्नाटक के मुख्य न्यायाधीश  ए.एस. ओका समेत 9 जजों को शपथ दिलाई है। ओका सभी HC  के मुख्य न्यायाधीशों में सबसे वरिष्ठ मुख्य न्यायाधीश हैं। इनके अलावा गुजरात के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ, सिक्किम के मुख्य न्यायाधीश जे . के . माहेश्वरी, तेलंगाना की मुख्य न्यायाधीश हिमा कोहली ने भी शपथ ली है। हिमा कोहली हाईकोर्ट की एकमात्र सेवारत महिला मुख्य न्यायाधीश भी हैं।

 

 

 

वहींए मद्रास HC के न्यायाधीश न्यायमूर्ति  सी.टी. रवि कुमार, न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश, न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिंह ने शपथ ली है। इन जजों की शपथ के साथ ही भारत को पहली महिला चीफ जस्टिस मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है। इन 9 जज में केरल हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना का नाम भी शामिल है, जो आगे चलकर चीफ जस्टिस भी बन सकती हैं। शपथ लेने वालों जजों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं।

 

 

 

सभी को वरिष्ठ के आधार पर शपथ दिलाई जाती है। शपथ ग्रहण आयोजन के फौरन बाद सभी जज कोर्ट रूम चले जाते हैं। जाते वक्त भी सीनियरिटी का ध्यान रखा जाता है। शपथ ग्रहण के बाद जजेस लाउंज में नए जजों के स्वागत के लिए सभी जज इकट्ठा होते हैं। परंपरा के मुताबिक, शपथ लेने वाले जज चीफ जस्टिस के साथ उनकी ही बेंच में बैठते हैं।

 

 

 

सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीम कोर्ट के परामर्श के बाद की जाती है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश इस प्रसंग में राष्ट्रपति को परामर्श देने से पूर्व अनिवार्य रूप से चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के समूह से परामर्श प्राप्त करते हैं और इस समूह से प्राप्त परामर्श के आधार पर राष्ट्रपति को परामर्श देते हैं। मुख्य न्यायाधीश के चयन के बाद जस्टिस अफेयर्स और कानून मंत्री सारा ब्यौरा भारत के तात्कालिक प्रधानमंत्री के हाथ सौंपते हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की मामले में अपनी राय देते हैं।

 

 

केंद्र सरकार की ओर से नामों की मंजूरी मिलने के बाद राष्ट्रपति को भेजा जाता है और राष्ट्रपति जजों की नियुक्ति को लेकर नोटिफिकेशन जारी करते हैं। इन जजों की नियुक्ति के लिए 26 अगस्त को राष्ट्रपति ने नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसके बाद 31 अगस्त को शपथ ग्रहण समारोह किया गया है।

 

 

 

भारत का नागरिक हो। साथ ही कम से कम पांच साल के लिए हाईकोर्ट का न्यायाधीश या दो से अधिक न्यायालयों में लगातार कम से कम पांच सालों तक न्यायाधीश के रूप में कार्य कर चुके हों। किसी उच्च न्यायालय या न्यायालयों में लगातार दस वर्ष तक अधिवक्ता रह चुके हों। वह व्यक्ति राष्ट्रपति की राय में एक प्रतिष्ठित विधिवेक्ता होना चाहिए। साथ ही न्यायाधीश के लिए सेवा का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं है। वह 65 वर्ष की आयु के पूरा होने तक अपनी सेवा को जारी रख सकते हैं।

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