सैफई विश्वविद्यालय के VC डॉ० राजकुमार का कार्यकाल खत्म, शासन ने लिया जबरिया अवकाश पर भेजने का निर्णय

 

स्टार एक्सप्रेस

लखनऊ. सैफई आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राजकुमार का कार्यकाल खत्म होने ही वाला था इससे पहले ही शासन ने आज कुलपति को अवकाश पर भेजने का निर्णय ले लिया ।

 

 

चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आलोक कुमार ने आज जारी अपने पत्र के माध्यम से कहा कि – वर्तमान कुलपति के पद का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो रहा है । नये कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है । शीघ्र ही नये कुलपति की नियुक्ति शासन के अनुमोदनोपरांत की जायेगी ।

 

आलोक कुमार ने आगे बताया कि शासन द्वारा सैफई विश्वविद्यालय इटावा अधिनियम 2015 की धारा 11(10) के अंतर्गत विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति को दिनाँक 31 मई अथवा नये कुलपति की नियुक्ति तक अथवा जो भी पहले हो के लिए कुलपति के कर्तव्यों के निर्वहन हेतु अधिकृत किये जाने का निर्णय लिया है ।

 

कई मेडिकल कॉलेजों और विश्वविधालय में नही हो सकी नियुक्ति

 

सैफई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर राजकुमार ने कुलपति के पद पर रहते हुये कई मेडिकल यूनिवर्सिटी और एम्स जैसे संस्थानों में निदेशक/कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए हाथ आजमाए, आवेदन किये लेकिन हर जगह हाथ खाली रहा । SGPGI लखनऊ में निदेशक के पद पर आवेदन किया लेकिन डॉक्टर धीमान ने अपने आगे डॉक्टर राजकुमार की रफ्तार धीमी कर दी । बाद में डॉक्टर राजकुमार ने निदेशक डॉक्टर धीमान के खिलाफ कोर्ट में नियुक्ति को लेकर याचिका भी दायर की लेकिन कोर्ट ने डॉक्टर राजकुमार की याचिका खारिज कर दी ।

 

इसके साथ ही झारखंड एम्स में निदेशक पद पर , रायबरेली एम्स में निदेशक पद पर, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया विश्वविद्यालय लखनऊ में कुलपति पद पर, अटल बिहारी विश्वविद्यालय लखनऊ में कुलपति पद के लिये भी आवेदन किया लेकिन डॉक्टर राजकुमार की किस्मत ने कही भी साथ नही दिया ।

 

कोरोना काल में हो रही अनियमितता से शासन खफा?

 

पिछले महीने से सैफई विश्वविद्यालय में कोरोना महामारी के हाहाकार से झूझ रहा है। ऑक्सीजन की कमी, सेनेटाइजर, मास्क, ग्लब्स, पीपीई किट और जीवन रक्षक दवाओं की कमियों की वजह से शासन ने कुलपति को अवकाश पर माने जाने का निर्णय ले लिया।

 

जानकारी के मुताबिक पिछले महीने शासन से विश्वविद्यालय को 5 करोड़ 75 लाख का बजट दिया गया जिसमें 50 लाख दवा, 1 करोड़ 25 लाख पीपीई किट के लिये और 4 करोड़ टेस्ट किट के लिये दिये गये । लेकिन उसके बाद भी विश्वविद्यालय में दवा और समान के लिये हाहाकार मचा रहा । जिसका नतीजा यह हुआ कि जे आर डॉक्टरो को समान उपलब्ध ना होने की वजह से हड़ताल भी करना पड़ी । जिसकी कई लिखित शिकायते शासन को भेजी गयी । बाद में विश्वविद्यालय के एमओ और एमएस को 01-01 रुपये कैश देकर दवाएं खरीदी गई ।जबकि कोरोना के इस काल में लाखों रुपयों की दवा की जरूरत होती है । आखिर कहाँ गया करोड़ो का बजट यह जाँच का विषय है

 

काफी विवादों में रहा डॉक्टर राजकुमार के का कार्यकाल

 

विश्वविद्यालय में 01 जून 2018 को कुलपति के पद का कार्यभार ग्रहण करने के बाद जैसे मानो लगा कि पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के सपनों के महल की नींव में भ्रष्टाचार की जड़े फैलकर उनको खोखला करने में जुट गई हों । अनियमितताएं, भ्रष्टाचार और विवादित फैसले डॉक्टर राजकुमार राज्य में फैशन शो की तरह रेम्प पर चलने लगे, सितंबर 2018 में ओएसडी के पद पर जयशंकर प्रसाद की नियुक्ति, रैंगिंग मामले में अपनों पर करम गैरो पर सितम का फैसला, सेवानिवृत्त OSD के पद पर गुरजीत सिंह कलसी की अवैध नियुक्ति, सरकारी पद पर रहते हुये रायबरेली में कुमार मित्रा ट्रस्ट का गठन कर करोड़ो रुपयों की बिल्डिंग बनाकर आईटीआई कॉलेज की स्थापना करना, कार्डियोलॉजी डॉक्टर समीर शराफ द्वारा करोड़ो रुपयों के स्टंट खरीद घोटाले जैसी शिकायते आज भी शासन और PMO कार्यालय में चल रही हैं । जिसका नतीजा यह हुआ कि शासन को कार्यकाल  खत्म  होने  के कुछ दिन पहले ही डॉक्टर राजकुमार को अवकाश पर भेजने को कह दिया ।

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