श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि पर पीएम मोदी और सीएम योगी समेत कई दिंग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि’

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल  : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे और उनके नेतृत्व में ही जनसंघ ने भारत के बंटवारे का विरोध किया था। जनसंघ के ही बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी।

 

 

 

भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आज पुण्यतिथि है। बुधवार को इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उन्हें नमन किया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, “डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनकी पुण्यतिथि पर नमन। उनके विचार और लोगों की सेवा के लिए इच्छाशक्ति हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे, राष्ट्र की एकता के लिए उनके द्वारा किए गए योगदान को नहीं भुलाया जाएगा।”

 

 

 

 

 

अमित शाह ने ट्वीट कर कहा, “डॉ. मुखर्जी ने देश की अस्मिता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने भारत का पुनः विभाजन होने से बचाया। उनका त्याग, समर्पण और उनके आदर्श युग-युगांतर तक आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। ऐसे अभिजात देशभक्त के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।” वहीं, बीजेपी ने अपने ट्विटर हैंडल से लिखा कि ‘राष्ट्रीय एकता और अखंडता के पर्याय, महान शिक्षाविद्, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि’।

 

 

 

 

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट कर लिखा, “सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की अवधारणा लेकर भारत की एकता-अखंडता के लिए, अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्र के नाम समर्पित करने वाले, जनसंघ के संस्थापक, महान राष्ट्रभक्त श्रद्धेय डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर कोटि-कोटि नमन!” वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिखा, “महान राष्ट्रवादी नेता और चिंतक, जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष, ‘एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे’ का नारा देने और देश की एकता व अखंडता हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को उनके बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि।”

 

 

 

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे, जिसका चुनाव चिह्न दीपक था। मुखर्जी के नेतृत्व में ही जनसंघ ने भारत के बंटवारे का विरोध किया था। जनसंघ से ही बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरफ से लगाए गए आपातकाल के बाद जनसंघ समेत भारत की प्रमुख राजनैतिक पार्टियों का विलय कर के एक नई पार्टी ‘जनता पार्टी’ का गठन किया गया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहली केंद्रीय कैबिनेट का हिस्सा रहे थे, लेकिन उन्होंने कांग्रेस सरकार की नीतियों की आलोचना की थी।

 

 

 

 

बाद में जम्मू-कश्मीर के मामले पर उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। 8 मई 1953 को मुखर्जी जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकले, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें श्रीनगर के एक कमरे में नजरबंद किया गया था, जहां 22 जून 1953 को उनकी तबियत खराब हो गई थी। मुखर्जी का इलाज डॉ. अली मोहम्मद ने किया था। 23 जून, 1953 में उस कमरे में ही मुखर्जी की मौत हो गई थी। जवाहर लाल नेहरू ने उनकी मौत की जांच की मांग को खारिज कर दिया था, तब से ही इस सवाल का जवाब अंधेरे में गुम है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ कश्मीर के उस कमरे में क्या हुआ था, जिसमें उन्हें नजरबंद किया गया था।

 

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