इस दिन सूर्यदेव की उपासना करने से जीवन में आती है स्थिरता…

सूर्यदेव जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन को संबंधित राशि के नाम से संक्राति मनाई जाती है। आश्विन मास में आने वाली संक्रांति को कन्या संक्रांति कहा जाता है।

स्टार एक्सप्रेस

डेस्क. सूर्यदेव जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन को संबंधित राशि के नाम से संक्राति मनाई जाती है। आश्विन मास में आने वाली संक्रांति को कन्या संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूर्यदेव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, ऐसे में यह कन्या संक्राति के नाम से जाना जाती है। मान्यता के अनुसार, कन्या संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन सूर्यदेव की उपासना करने से जीवन में स्थिरता, तेज, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है। सूर्यदेव की कृपा से नौकरी-व्यापार से जुड़ी समस्याओं से भी निदान मिलता है।

इस दिन विधिपूर्वक सूर्यदेव को अर्घ्य दें। कन्या संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करना शुभ और पुण्य फलदायी होता है। इस दिन पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करना शुभ माना जाता है। कन्या संक्रांति के भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से औजारों की पूजा करने का विधान है। कन्या संक्रांति पर अपनी क्षमता के अनुसार जरूरतमंदों को दान अवश्य दें।

इस दिन पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध, तर्पण और उनके नाम से दान करना बहुत फलदायी माना गया है। कन्या संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से आरोग्य का वरदान मिलता है। कन्या संक्रांति पर पितरों के किए अनुष्ठान करें। मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा में स्नान करने से आत्मा और शरीर के समस्त पाप धुल जाते हैं। इसलिए इस दिन शुद्ध जल से स्नान करना अपने आप में एक अनुष्ठान है।

 

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