G-20 का अध्यक्ष भारत नहीं चाहता कि इसकी बैठकों में रूस पर प्रतिबंधों को लेकर किसी तरह की चर्चा हो

स्टार ऐक्सप्रेस डिजिटल

डेस्क: G 20 की बैठक से पहले रूस को लेकर क्या इस बात पर अड़ा भारत जी-20 का अध्यक्ष भारत नहीं चाहता कि इसकी बैठकों में रूस पर प्रतिबंधों को लेकर किसी तरह की चर्चा हो. भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह संगठन विकास के मुद्दों के लिए बनाई गई है न कि प्रतिबंधों की चर्चा के लिए. भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को युद्ध कहने का भी विरोधी है.

जी-20 की अध्यक्षता कर रहे भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को एक युद्ध कहने का विरोध किया है. भारत यह भी नहीं चाहता कि जी-20 की बैठकों में सदस्य देश यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंधों को लेकर किसी तरह की चर्चा करे. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार को भारत के छह वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि रूस पर प्रतिबंधों का पूरी दुनिया पर नकारात्मक असर पड़ा है और भारत रूस के खिलाफ अतिरिक्त कार्रवाई पर विचार नहीं करना चाहता.

जापान के वित्त मंत्री ने मंगलवार को कहा कि भारत में जी-20 बैठक में जी-7 देशों के समूह के वित्त मंत्री रूस-यूक्रेन युद्ध की पहली वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर 23 फरवरी को मिलेंगे, जिसमें रूस के खिलाफ प्रतिबंधों पर चर्चा की जाएगी.

वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक प्रमुखों की इस सप्ताह की जी-20 बैठक में शामिल भारतीय अधिकारियों ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के आर्थिक प्रभाव पर चर्चा की जाएगी लेकिन भारत रूस के खिलाफ और प्रतिबंध लगाने पर विचार नहीं करना चाहता.

एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, ‘भारत जी-20 के दौरान रूस पर किसी अतिरिक्त प्रतिबंध पर चर्चा करने या उसका समर्थन करने का इच्छुक नहीं है.

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जी-20 विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए एक आर्थिक मंच है. रूस पर प्रतिबंध लगाना जी-20 का मुद्दा नहीं है.

इस पर जब भारत सरकारऔर वित्त मंत्रालय से टिप्पणी मांगी गई तो प्रवक्ताओं ने किसी तरह का कोई जवाब नहीं किया.

भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को ‘युद्ध’ नहीं कहना चाहता 

जी-20 विज्ञप्ति का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए बुधवार को एक बैठक में मौजूद सात देशों के प्रतिनिधियों ने रॉयटर्स से कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का वर्णन करने के लिए किसी शब्द पर आम सहमति नहीं बन पाई. अधिकारियों ने कहा कि भारत ने इस संघर्ष को ‘युद्ध’ कहकर संबोधित करने के बजाय ‘संकट’ या ‘चुनौती’ जैसे शब्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश की लेकिन चर्चा बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गई.

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पहले कहा था कि युद्ध ने गरीब देशों को ईंधन और भोजन की कीमतों में वृद्धि से प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है. भारत के पड़ोसी देशों – श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश सभी ने हाल के महीनों में महामारी और युद्ध के कारण उपजी आर्थिक परेशानियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज मांगा है.

अमेरिका रूस पर प्रतिबंध कड़े करेगा 

अमेरिकी उप ट्रेजरी सचिव वैली एडेयेमो ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका और उसके सहयोगियों ने आने वाले दिनों में रूस पर नए प्रतिबंध और निर्यात नियंत्रण लगाने की योजना बनाई है. रेफ्रिजरेटर और माइक्रोवेव जैसे सामानों के रूस को बेचने पर भी प्रतिबंध लगाई जाएगी क्योंकि रूस इनका

सेमिकंडक्टर को अपनी मिलिट्री के लिए उपयोग में ला रहा है. अमेरिका के नए प्रतिबंधों से रूसी तेल पर और अधिक शिकंजा कसेगा.

एडेयेमो ने कहा कि 30 से अधिक देशों के अधिकारी मिलकर कंपनियों, वित्तीय संस्थानों और रूस के साथ व्यापार करने वाले व्यक्तियों को चेतावनी देंगे कि अगर वो रूस से अपना कारोबार जारी रखते हैं तो उन्हें प्रतिबंधों का सामना करना पड़ेगा.

 भारत का रुख नरम रूस पर 

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने रूसी आक्रमण की कभी खुले तौर पर आलोचना नहीं की है. उन्होंने दोनों देशों के बीच के युद्ध को खत्म करने के लिए बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने पर बल दिया है.

रूस अभी भी भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है और अब यह रूसी तेल की खरीद में भी काफी आगे निकल गया है.

विदेश मंत्री जयशंकर ने  समने इस सप्ताह समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि रूस के साथ भारत के संबंध असाधारण रूप से स्थिर हैं और यह वैश्विक राजनीति में अशांति के हर दौर में भी स्थिर रहे हैं.

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