Itawa News: जो समय पर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं वे बर्बाद हो जाते हैं: चक

अम्बेडकर जयन्ती की पूर्व संध्या पर बाबा साहब को किया नमन

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता


 

भरथना,इटावा। उत्तर-प्रदेश के डीजीपी रहे अम्बेडकर विचारक एसएन चक ने कहा है कि जो समय पर अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते हैं वे बर्बाद हो जाते हैं। दलितों,पिछड़ों,आदिवासियों के साथ यही हुआ,जो कुशल नेतृत्व दे सकने लायक हो गए थे उनकी लापरवाही,मक्कारी,स्वार्थपरता, बुज़दिली के चलते देश के बहुजन फिर बर्बादी की कगार पर खड़े हो गए हैं। हजारों वर्षों इनका शारीरिक,मानसिक, सामाजिक,आर्थिक शोषण वर्ण व्यवस्था के कारण हुआ,अज्ञानता,धर्मभीरुता के कारण हुआ, दुश्मन और दोस्त की सही पहचान ना कर पाने के कारण हुआ था।

बड़ी मुश्किल से इनके बीच अम्बेडकर हुए जो बुद्ध, कबीर,नानक,रैदास, ज्योतिबा, शाहू जी के अधूरे सपनों को अपने दम पर अपनी बेमिसाल काबिलियत और संघर्षों के दम पर हकीकत में बदल सके। इस एक महापुरुष ने वो सब दे दिया इन युगों युगों के पीड़ित,उपेक्षित, बहिष्कृत,तिरस्कृत अछूतों,पिछड़ों,आदिवासियों को जो इन्हें शून्य से शिखर पर पहुंचा सकता था। उन्होंने स्वयं अथक परिश्रम करके अथाह ज्ञान प्राप्त किया और खुद धर्म और पाखण्ड के अंतर को पूरी तरह से समझ लिया, उनका ज्ञान बहुजनों तक पीढी दर पीढ़ी पहुंचता रहे इसलिए उसे पुस्तकों में लेखबद्ध कर दिया।

खुद अधिकारों के लिए संघर्ष में नेतृत्व दिया जैसे महाड़ का सत्याग्रह,संघर्ष की मानसिकता जगाने के लिए कालाराम मन्दिर प्रवेश आंदोलन चलाया,मनुस्मृति जलाई,गोलमेज सम्मेलनों में दलितों का पक्ष रखा, अछूतों के हित के लिए बेमन से पूना पैक्ट कर लिया,अवसर मिला तो अद्भुत संविधान की रचना कर डाली और सामाजिक दृष्टि से वंचितों,शोषितों को ऐसे वैधानिक अधिकार दे गए जिनके आधार पर सत्ता में दलितों,पिछड़ों, आदिवासियों को भागीदारी का अवसर मिल सका।

रिटायर्ड डीजीपी श्री चक ने बताया कि बाबा साहब को गए हुए 1956 से अब तक 67 वर्ष बीत गए। क्या दलितों, पिछड़ों,आदिवासियों ने बाबा साहब का कारवां आगे बढ़ाया? नहीं। आज देश मे सैकड़ों दलित आई ए एस,आई पी एस हैं, सैकड़ों रिटायर्ड आई ए एस,आई पी एस हैं,हजारों डॉक्टर,इंजीनियर,अध्यापक,इंस्पेक्टर,बाबू हैं,हजारों प्रधान से ले कर विधायक, सांसद तक हैं,

लाखोंदलित,पिछड़े,आदिवासी खूब सम्पन्न हैं लेकिन अधिकांश दलित,पिछड़े, आदिवासी तो बुरे हाल में हैं। इनकी सोचने की आदत वैसी ही है जैसी इनके पुरखों की थी,दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त समझते हैं। आज देश के हालात ऐसे हैं कि देश का संविधान ही खतरे में दिखाई दे रहा है। 2024 के चुनाव के बाद क्या स्थिति होगी पता नहीं। 85 प्रतिशत वोट के जो स्वामी हैं वे पिछड़े,दलित, आदिवासी भयंकर रूप से धर्मान्ध हैं नतीजा यह है कि मन्दिर के नाम पर ये उन ताकतों को वोट दे देते हैं जो इन्हें फिर से वैसा ही गुलाम बनाना चाहती हैं जैसे कि बहुजनों के पुरखे 185 ईसा पूर्व से लेकर ईस्ट इंडिया कम्पनी के आने तक रहे।

दलित,पिछड़े,आदिवासी खूब सम्पन्न हैं लेकिन अधिकांश दलित,पिछड़े, आदिवासी तो बुरे हाल में हैं। इनकी सोचने की आदत वैसी ही है जैसी इनके पुरखों की थी,दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त समझते हैं। आज देश के हालात ऐसे हैं कि देश का संविधान ही खतरे में दिखाई दे रहा है। 2024 के चुनाव के बाद क्या स्थिति होगी पता नहीं। 85 प्रतिशत वोट के जो स्वामी हैं वे पिछड़े,दलित, आदिवासी भयंकर रूप से धर्मान्ध हैं नतीजा यह है कि मन्दिर के नाम पर ये उन ताकतों को वोट दे देते हैं जो इन्हें फिर से वैसा ही गुलाम बनाना चाहती हैं जैसे कि बहुजनों के पुरखे 185 ईसा पूर्व से लेकर ईस्ट इंडिया कम्पनी के आने तक रहे।

दलित,पिछगड़े,आदिवासी एक दूसरे के साथ रोटी बेटे का सम्बंध तो छोड़िए सत्ता के लिए साझीदार हो कर वोट तक देने में एक नही हो सकते। ये आज भी एक हो जाएं तो राजनैतिक कायाकल्प हो जाये, जमानतें जब्त हो जाएंगी उनकी जो आज सात्तासीन हैं और ख्वाब देख रहे हैं संविधान को पलीता लगाने का।उन्होंने कहा है कि जब जागो तब सबेरा,अभी इतना वक़्त है कि वक़्त बदल सकता है। हम जीत सकते हैं वे हार सकते हैं। संविधान बच सकता है,बाबासाहब का सपना पूरा हो सकता है। जरूरत इस बात की है कि जो भी पढ़े लिखे हैं,राजकीय या निजी सेवाओं में हैं, व्यवसायी हैं,मध्यवर्ग के हैं या निम्नमध्यवर्ग के दलित, पिछडे आदिवासी हैं

वे अपनी जिम्मेदारी समझें और अपनी संतानों के अधिकारों की रक्षा के लिए बाहर निकलना शुरू करें, गांव,कस्बों में जा जा कर छोटी छोटी मीटिंगों में डॉ० अम्बेडकर के संघर्ष की कहानी सुनाएं,उनके द्वारा किये गए कार्यों को बताएं, उनके संविधान ने क्या दिया ये बताएं और उन्हें आगाह करें कल के खतरे के बारे में,कोई श्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता है,यह भी व्यर्थ नहीं जाएगा। हो सकता है कि आप के साथ भारी भीड़ ना खड़ी हो सके संघर्ष करने वालों की तो भी कोई बात नहीं क्योंकि दुनिया मे ऐसा ही होता है,सफल होने पर सब साथ खड़े होंगे,जय जयकार करेंगे।

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