अखिलेश ने स्वामी मौर्य के साथ आगे बढ़ने का दिया संदेश?

स्टार एक्सप्रेस/ संवाददाता

आक्रामक रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद 

स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ अखिलेश यादव खुलकर खड़े हो गए हैं। स्वामी के बयानों के खिलाफ लगातार हमलावर ऋचा सिंह और रोली तिवार को सपा ने बाहर का रास्ता आगे  दिखा दिया है इस एक्शन से अखिलेश ने अपनी राजनीति दशा और दिशा तय करने के साथ साथ पार्टी नेताओं को साफ संदेश भी दे दिया है।

रामचरितमानस पर बिहार से शुरू हुई बहस को उत्तर प्रदेश में स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे बढ़ाया तो सपा ने भी उसे लपक लिया. रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को दलित और पिछड़ा विरोधी बताते हुए स्वामी प्रसाद लगातार मोर्चा खोले हुए हैं तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी उसी बहाने ‘शूद्र पॉलिटिक्स’ को धार दे रहे हैं स्वामी प्रसाद के बयान का विरोध करने वाली सपा नेता ऋचा सिंह और रोली तिवारी को गुरुवार को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। सपा अपनी दोनों महिला नेताओं पर एक्शन लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ खुलकर खड़े होने का नहीं बल्कि अपनी सियासी लाइन भी साफ कर दी है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों को हटाने की मांग कर रहे हैं  जिसके लिए बकायदा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी को भी पत्र लिखाकर कहा कि रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों के आपत्तिजनक अंश जिसमें समस्त महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों सामाजिक धार्मिक स्तर पर हमेशा अपमानित होना पड़ता है इन चौपाइयों को संशोधित/प्रतिबंधित किया जाए. इस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य मोर्चा खोले हुए हैं जिसकी वजह से सपा के अंदर दो धड़े बन गए हैं एक स्वामी प्रसाद के विरोध में है तो एक समर्थन में है।

2022 से लिया अखिलेश ने सबक

2022 के विधानसभा चुनाव में वोटिंग पैटर्न को देखकर पार्टी समझ गई है कि सवर्ण मतदाता फिलहाल बीजेपी को छोड़कर सपा के  साथ आने की स्थिति में नहीं है। सीएसडीएस के आंकड़े को मानें तो ठाकुर ब्राह्मण और वैश्य समुदाय ने 83 से 87 फीसदी वोट बीजेपी को दिए हैं। सपा को यादव  मुस्लिम, अति पिछड़ी और कुछ दलित वोट मिले हैं सपा गठबंधन को करीब 36 फीसदी वोट मिले थे और सपा के 47 से 111 विधायक हो गए हैं बसपा और कांग्रेस का वोट भी सपा और बीजेपी में शिफ्ट हो गया है।

अखिलेश यादव सूबे की सियासी नब्ज को पूरी समझ गए हैं कि ठाकुर समुदाय किसी भी कीमत पर योगी आदित्यनाथ को छोड़कर उनके साथ नहीं आएगा ब्राह्मण और वैश्य समुदाय भी बीजेपी के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है. ऐसे में सवर्ण वोटों के बजाय बहुमत वोटों पर फोकस करने की उनकी रणनीति है. 2022 के चुनाव में बीजेपी और सपा के बीच आठ फीसदी वोटों का अंतर है ऐसे में अखिलेश यादव बीजेपी के वोटबैंक से पांच से छह फीसदी वोट को हासिल करना चाहते हैं. इसलिए उनकी नजर अतिपिछड़े वोटों पर है यादव-मुस्लिम को जोड़े रखते हुए दलित-ओबीसी वोटों को साधने की कवायद सपा कर रही है, जिसके चलते सपा अब कास्ट पालिटिक्स के इर्द-गिर्द अपना एजेंडा सेट कर रही

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