Go First को मिली राहत, NCLT ने स्वीकार की याचिका ,जानिए डिटेल

Go First की दिवालिए होने के मामले पर NCLT ने अपना फैसला सुना दिया है, NCLT ने कंपनी को राहत देते हुए उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया है

स्टार एक्सप्रेस/संवाददाता

दिल्लीः पहली बार है जब किसी भारतीय एयरलाइन ने स्वेच्छा से अपने कॉन्ट्रैक्ट और कर्जों पर फिर से बातचीत करने के लिए दिवालियापन संरक्षण की मांग की है। गो फर्स्ट की दिवालिए होने के मामले पर NCLT ने अपना फैसला सुना दिया है। NCLT ने कंपनी को राहत देते हुए उसकी याचिका को स्वीकार कर लिया है। NCLT ने याचिका स्वीकार करते हुए कंपनी के मैनेजमेंट और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भी सस्पेंड कर दिया है। इस राहत के बाद अब एयरलाइन को अपने आप को दोबारा रिवाइव करने का मौका मिल सकेगा।

दरअसल कंपनी और उसके 7,000 कर्मचारियों के भाग्य का फैसला होना था। नजरें NCLT के फैसले पर टिकी थी। दरअसल कंपनी ने मांग की थी कि उसे इनसाल्वेंसी प्रोटेक्शन दिया जाए ताकि वो अपने आप को रिवाइव कर सके।

बता दें कि एनसीएलटी के इस फैसले के बाद अब गो फर्स्ट को फिर से चलाने के लिए नए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को नियुक्त किया जाएगा, जो मैनेजमेंट संभाल सके। वहीं Go First को सफल होने की उम्मीद दिख रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जब किसी भारतीय एयरलाइन ने अपनी स्वेच्छा से अपने कॉन्ट्रैक्ट और कर्जों पर फिर से बातचीत करने के लिए इनसाल्वेंसी प्रोटेक्शन की मांग की है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिन कंपनियों ने गो एयरलाइंस को विमान किराए पर दिए हैं, वे अपने कॉम्पटीटर इंडिगो, एयर इंडिया और विस्तारा के ऑफिस के बाहर लाइन में हैं और आकर्षक दरों पर विमानों की पेशकश कर रही हैं। टाटा ग्रुप और इंडिगो, गो फर्स्ट के कर्जदारों के साथ अलग-अलग बातचीत में लगे हुए हैं, साथ ही साथ एयरलाइंस ऑपरेटर्स के साथ लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट पर भी चर्चा कर रहे हैं और 36 विमानों को फिर से हासिल करने की मांग कर रहे हैं।

कंपनी ने दिया था ये तर्क

पिछले हफ्ते, ट्रिब्यूनल ने कम लागत वाली एयरलाइन की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें आदेश देने से पहले अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई थी। इस पर कंपनी ने यह भी तर्क दिया कि यदि वह विमान का कब्जा और उन्हें संचालित करने का कानूनी अधिकार खो देती है, तो उसकी कारोबार की निरंतरता दांव पर लग जाएगी।

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