हाई कोर्ट में जजों के खाली पद को लेकर पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने देश के हाई कोर्ट और अन्य न्यायालयों में जजों के खाली पद को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि 7 साल से सत्ता पर काबिज मोदी सरकार इन रिक्तियों को भरने में सक्षम या इच्छुक क्यों नहीं है? चिंदबरम ने आरोप लगाया कि असल कारण यह है कि सरकार ऐसे लोगों की तलाश में है, जो इसके सिद्धांतों और विचारधारा के प्रति सहानुभूति रखेंगे।

 

 

 

 

 

कांग्रेस नेता ने शनिवार को ट्विटर पर लिखा, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्वीकृत 1080 पदों में से 416 रिक्त हैं। ट्राइब्यूल्स में बड़ी संख्या में रिक्तियां हैं। कई ट्राइब्यूनल के अध्यक्ष पद खाली हैं! इनमें डीआरटीए , NCLAT, TDSAT भी शामिल हैं। 7 साल से सत्ता पर काबिज नरेंद्र मोदी की सरकार इन रिक्तियों को भरने में सक्षम या इच्छुक क्यों नहीं है? देश में इन रिक्तियों को भरने के लिए योग्य वकीलों और जजों की कमी नहीं है।

 

 

 

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न ट्राइब्यूनल्स में खाली पदों को नहीं भरने को बहुत अफसोसजनक स्थिति करार देते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार को 10 दिनों के भीतर उठाए गए कदमों से अवगत कराने का निर्देश दिया और कहा कि उसे आशंका है कि इस संबंध में कुछ लॉबी काम कर रही है। चीफ जस्टिस एन वी रमणा और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा, हमें न्यायाधिकरणों को जारी रखने या उसे बंद करने पर एक स्पष्ट रुख पता होना चाहिए। ऐसा लगता है कि नौकरशाही इन ट्राइब्यूनल्स को नहीं चाहती है।

 

 

 

 

शीर्ष अदालत को कोर्ट की रजिस्ट्री ने 15 अर्ध-न्यायिक निकायों जैसे ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) डीआरएटीए प्रतिभूति अपीली न्यायाधिकरण, दूरसंचार विवाद समाधान और अपीली अधिकरण (TDSAT), NCLAT ) में लंबित रिक्तियों से संबंधित सभी ब्योरा मुहैया कराया। बेंच ने कहा कि इन ट्राइब्यूनल्स में पीठासीन अधिकारियों या अध्यक्ष के 19 पद खाली हैं और उनके अलावा न्यायिक और तकनीकी सदस्यों के क्रमशरू 110 और 111 पद खाली हैं। इन पदों को खाली रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

 

 

 

 

 

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने 28 जुलाई को लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि देश के 25 हाई कोर्ट में 454 जजों के पद खाली हैं। कुल जजों की स्वीकृत संख्या 1,098 हैं। सरकार के आंकड़े बताते हैं कि हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया भी धीमी हुई है। 2018 में देश के अलग-अलग हाई कोर्ट में 108, 2019 में 81 और 2020 में सिर्फ 66 जजों की नियुक्ति हुई। सभी हाई कोर्ट में अभी 644 जज कार्यरत है, जिनमें 567 पुरुष और 77 महिला जज हैं।

 

 

 

 

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, सबसे ज्यादा इलाहाबाद हाई कोर्ट में 66 जजों के पद खाली हैं, पिछले साल सिर्फ 4 जजों की नियुक्ति हुई। इसके अलावा कलकत्ता हाई कोर्ट में 41, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में 39, पटना हाई कोर्ट में 34, बॉम्बे हाई कोर्ट में 31, दिल्ली हाई कोर्ट में 30, तेलंगाना हाई कोर्ट में 28, राजस्थान हाई कोर्ट में 27, मध्य प्रदेश और गुजरात हाई कोर्ट में 24.24 जजों के पद खाली हैं।

 

 

 

 

 

सुप्रीम कोर्ट में भी 8 जजों के पद खाली हैं। अगले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट के दो और जज जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस नवीन सिन्हा रिटायर हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में पिछले डेढ़ साल से जजों की नियुक्ति नहीं हुई है। सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में 8 और 2019 में 10 जजों की नियुक्ति हुई थी। उच्चतम न्यायालय में अभी 26 जज कार्यरत हैं, इसमें 25 पुरुष और सिर्फ एक महिला जज हैं।

 

 

 

 

 

किरेन रिजिजू ने बताया था कि देश के सभी राज्यों की निचली अदालतों में भी जजों के 5,132 पद रिक्त हैं। इसमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 1,053, बिहार में 533, मध्य प्रदेश में 435, गुजरात में 385, हरियाणा में 284, तमिलनाडु में 271, कर्नाटक में 266 और राजस्थान में 257 पद खाली हैं।

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