‘हमारी खिलाड़ी शिद्दत से खेली, बस फाइनल में किस्मत दगा दे गई’

हॉकी के लिए करीब करीब अनजाने मिजोरम से आने वाली ‘बेबी’ ऑफ द टीम 18 बरस की स्ट्राइकर ललरेमसियामी पहले महिला हॉकी विश्व कप और उसके ठीक बाद जकार्ता में एशियाई खेलों में अपने तेज-तर्रार खेल से भारतीय हॉकी टीम की जान बन चुकी हैं। भारत की कप्तान रानी रामपाल, वंदना कटारिया और नवजोत कौर सहित हर कोई भारतीय महिला हॉकी की नई सनसनी ललरेमसियामी को अब विश्वास से बड़े मंच पर बढिया खेल अैर विश्वास से अपनी बात कहते देखना एक सुखद आश्चर्य है।

ललरेमसियामी ने कहा कि, हमारी भारतीय हॉकी टीम जकार्ता एशियाई खेलों में बहुत अच्छा खेली। हमारी टीम की हर खिलाड़ी शिद्दत से खेली और कोई कसर नहीं छोड़ी। बस जापान के खिलाफ हम फाइनल में मौकों को पूरी तरह भुनाते तो नतीजा और होता। हम जीत के साथ सीधे ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर लेते। बस किस्मत हमें फाइनल में दगा दे गई।  हमारी रक्षापंक्ति ने मुस्तैदी से अपने किले की चौकसी से हर किसी को अपना मुरीद बना दिया।

अग्रिम पंक्ति में वंदना कटारिया, नवजोत और मैंने गोल करने के साथ और गोल के मौके बनाने और टीम को पेनल्टी कॉर्नर दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रानी (रामपाल) दीदी भले ही चोट के कारण लीग में एक ही मैच खेली लेकिन उन्होंने बाहर बेंच पर बैठकर हम सभी की बहुत हौसलाअफजाई की। हमारी कई साथी चोट से उबरते ही मैदान में उतरी और गुरजीत कौर चोट के बावजूद सेमीफाइनल और फाइनल में उतरी।  फिर भी इस बात का फख्र है कि मैदान पर पूरे एशियाई खेलों में हमारी टीम की हर लड़की ने अपना 110 फीसदी दिया।

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