सेबी की सख्त निगरानी के बावजूद स्टार्टअप का आईपीओ लाने की होड़

 

स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : कल के स्टार्टअप अब शेयर बाजार में उतरकर बड़े खिलाड़ियों को पछाड़ने की होड़ कर रहे हैं। पेटीएम, मोबिक्विक, नाइका, पालिसी बाजार जैसे बड़े स्टार्टअप आईपीओ लाने की तैयारी में हैं, जोमैटो आईपीओ आने के बाद बाजार में सूचीबद्धता के पहले ही दिन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की पूंजी वाली कंपनी बन गई। बाजार में उतरने पर सेबी की सख्त निगरानी के बावजूद स्टार्टअप का आईपीओ लाने की होड़ को विशेषज्ञ उत्साहजनक और छोटे निवेशकों के लिए फायदेमंद मान रहे हैं।

 

 

 

 

 

 

कौन कितने का ला रहा है IPO

16600 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने वाली है पेटीएम
1900 करोड़ रुपये का आईपीओ मोबिक्विक लाने वाली है
5000 करोड़ रुपये तक का आईपीओ लाएगा नायका
6500 करोड़ का आईपीओ लाने की तैयारी में पॉलिसी बाजार
3700 करोड़ का आईपीओ लाएगी फार्मइजी
1500 करोड़ का आईपीओ लाएगी आईक्सिगो

 

 

 

 

 

बाजार से जुड़ने पर पूंजी जुटाना आसान
आईपीओ से पहले कंपनियां प्राइवेट लिमिटेड रहती हैं। जबकि उसके बाद उनके नाम में पब्लिक लिमिटेड जुड़ जाता है। इसमें कंपनियों को कई तरह की रियायत मिलती है जिससे उनके लिए पूंजी जुटाना आसान हो जाता है।

 

 

 

 

 

प्रवर्तकों की मनमानी पर रोक
छोटे निवेशकों भी आईपीओ के जरिये उसमें हिस्सेदार हो जाते हैं। सेबी के नियमों के तहत सूचीबद्ध कंपनियों को छोटे निवेशकों के हितों का भी ध्यान रखना होता है और उनकी राय को तरजीह देनी होती है। इससे प्रवर्तकों की मनमानी पर अंकुश लग जाता है।

सेबी की सख्त निगरानी
एक बार सूचीबद्ध होने के बाद कंपनियां सेबी की सख्त निगरानी में आ जाती हैं। बोर्ड में नियमों के मुताबिक निदेशक रखने और हटाने के लिए सेबी की मंजूरी लेनी पड़ती है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह छोटे निवेशकों के हित के लिए अच्छा होता है।

 

कारोबार का खुलासा अनिवार्य
आईपीओ से पहले कंपनियों को सेबी के पास खुलासा दस्तावेज जमा करना होता है जिसे डीआरएचपी कहते हैं। इसमें कंपनी और उसके प्रर्वतक के बारे में हर तरह की जानकारी देनी होती है। इसमें थोड़ी भी गड़बड़ी मिलने पर सेबी आईपीओ की मंजूरी नहीं देता है। ऐसा कंई कंपनियों के साथ हो चुका होता है।

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