सड़क से किचन तक महंगाई का कोहराम जारी, पेट्रोल-डीजल, एलपीजी के साथ उबल रहे खाद्य तेल
स्टार एक्सप्रेस डिजिटल : आम आदमी को सड़क पर चलने के लिए महंगे पेट्रोल-डीजल खरीदने पड़ रहे हैं तो किचन में घरेलू एलपीजी का महंगा होना और खल रहा रहा है। ऊपर से सरसों, रिफाइंड, सोयबीन जैसे खाद्य तेल की महंगाई की चक्की में पिसकर आम आदमी का तेल निकल रहा है। ऐसा नहीं है कि सरकार कुछ उपाय नहीं कर रही है।
खाद्य तेलों की महंगाई रोकने के सरकार के उपाय बेअसर साबित हो रहे हैं। आयात शुल्क कम करने के बावजूद खाद्य तेलों के दाम कम नहीं हो रहे। पिछले एक महीने में सरसों तेल, वनस्पति, सोया और मूंगफली के तेल की कीमत 3 फीसद तक बढ़ी है। वहीं, पिछले साल आम आदमी का दम निकालने वाले आलू-प्याज-टमाटर में से प्याज और टमाटर के भाव नरम हैं।
पिछले एक साल से किचन के बजट को पूरी तरह बिगाड़ने में खाद्य तेलों ने अहम भूमिका रही है और इसमें अभी तेजी जारी है। पिछले एक महीने की बात करें तो सरसों तेल 2.3 फीसद, मूंगफली तेल 2.08 फीसद, वनस्पति 3.05 फीसद, सोया ऑयल 1.77 फीसद महंगा हो चुका है। पॉम ऑयल भी इस अवधि में 2.22 फीसद उछला है।
उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 अगस्त 2020 के मुकाबले 1 सितंबर 2021 को दालों में 4.42 फीसद और खुली चाय में 4 फीसद तक उछाल आ चुका है। वहीं गेहूं के रेट में 7.3 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।
पिछले एक महीने में आवश्यक वस्तुओं के दाम ऐसे चढ़े
वस्तु
अगर दालों की बात करें तो मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए ताजा आंकड़ों के मुताबिक अरहर यानी तूअर की दाल औसतन 104.67 रुपये किलो से करीब 105 रुपये , उड़द दाल 103 से 106 रुपये किलो हो गई है। वहीं मूंग की दाल, मसूर और चना दाल 3.46 फीसद तक महंगी हुई है। कई बार लोगों को महंगाई का आंसू रुलाने वाला प्याज अभी शांत है। एक महीने में इसकी कीमत 31.13 से 28.33 रुपये पर आ गई है। आलू अब फिर मोटा होने लगा है। एक महीने में ही आलू 19.40 से 20.28 रुपये पर पहुंच गया है।