राजकीय निर्माण निगम के दबंग से परेशान है एकेटीयू के कुलपति !

लखनऊ. राजकीय निर्माण विभाग एक बार फिर चर्चा में हैं। वजह है विभाग के स्थानिक अभियंता (विद्युत) शंशाक द्विवेदी। शशांक द्विवेदी के खिलाफ राजकीय निर्माण निगम और पुलिस की जांच एजेंसियों के पास कई मामले विचाराधीन है। लेकिन इन सबसे उनकी हैसियत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।

राजकीय निर्माण निगम के दबंग से परेशान है एकेटीयू के कुलपति !

ताजा मामला डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को धमकाने का है। शशांक द्विवेदी के खिलाफ उन्होंने राजकीय निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक को पत्र लिखकर शिकायत की है और साथ में निर्माण निगम को भविष्य में एकेटीयू के काम न देने की चेतावनी भी दी है।

यह पत्र बीते 29 जून 2018 को लिखा गया है, लेकिन प्रबंध निदेशक राजकीय निर्माण निगम ने शशांक द्विवेदी से पूछताछ कर कार्रवाई करने के स्थान पर लोहिया संस्थान का प्रभारी बनाकर उपकृत कर दिया है।

राजकीय निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक राजन मित्तल को एकेटीयू के कुलपति की और से लिखे गए पत्र में प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा है कि शशांक द्विवेदी के बहनोई पीके मिश्रा एकेटीयू में तृतीय श्रेणी का कर्मचारी है।

शशांक द्विवेदी अपने बहनोई को बाबू से प्रमोट कराकर अधिकारी बनाने के लिए उन पर दबाव बना रहा है। जब वह पीके मिश्र का प्रमोशन नहीं कर सके तो शशांक द्विवेदी ने समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों में कुलपति के खिलाफ प्रायोजित खबरें चलाकर उनको बदनाम कर दिया। इस तरह की खबरों से प्राविधिक विश्वविद्यालय और सरकार की साख को धक्का लगा।

प्रो. विनय पाठक ने लिखा है कि शशांक द्विवेदी ने उन्हें उनका कैरियर तबाह करने की धमकी दी है।
पत्र के अनुसार शशांक द्विवेदी ने भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्ति बनाई है। उसके खिलाफ डॉ. भीमराव आंबेडकर मान्यवर कॉशीराम स्मारक के निर्माण कार्यों में करोड़ो रुपए के घोटाले करने की जांच, पुलिस उपाधीक्षक, भ्रष्टाचार निवारण संगठन, कानपुर, सतर्कत अधिष्ठान, कानपुर कर रहा है।

उन्होंने शशांक द्विवेदी को लखनऊ से अन्यंत्र स्थानांतरित करके, पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग की है। प्रो. पाठक ने राजकीय निर्माण निगम को चेतावनी भी दी है। कि यदि उनके पत्र पर कार्रवाई नहीं हुई तो प्राविधिक विश्वविद्यालय राजकीय निर्माण निगम को कोई काम नहीं देगा।

इस संबंध में राजकीय निर्माण निगम कोई प्रतिक्रिया देने से मना किया है। प्रबंध निदेशक का कहना है कि वह इस मामले से अंजान है।

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