भारतीय नौसेना को मिलेगा एक और हथियार, 6 पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को रक्षा मंत्रालय ने दी मंजूरी
रक्षा मंत्रालय ने आज शुक्रवार को एक हाईलेविल की मीटिंग में लगभग 43,000 करोड़ रुपए की लागत से भारतीय नौसेना ( Indian Navy) के लिए 6 अत्याधुनिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है. 6 पारंपरिक आधुनिक पनडुब्बियां मिलने से इंडियन नेवी की ताकत में बड़ा इजाफा होगा.
इस प्रोजेक्ट को स्टेट्रिजक-पार्टनरशिप मॉडल के तहत पूरा किया जाएगा, ऐसे में रक्षा मंत्रालय स्वदेशी शिपयार्ड को ये आरएफपी जारी करेगी. ये स्वेदशी शिपयार्ड किसी विदेशी कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर में ही इन छह कन्वेंशनल यानि डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का देश में ही निर्माण करेंगी.
ये छह कंवेनशनल पनडुब्बियां जरूर है लेकिन ये एआईपी यानी एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपेलशन सबमरीन है. इसका फायदा ये है कि इन्हें डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन की तरह बार-बार समंदर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होगी. यानी, एक तरह से ये स्टेल्थ-सबमरीन होंगी.
रक्षा मंत्रालय आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक में ‘प्रोजेक्ट-75 इंडिया’ के तहत 6 पारंपरिक आधुनिक पनडुब्बियों के लिए निविदा जारी करने के भारतीय नौसेना के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.
रक्षा मंत्रालय ने जिन पांच विदेशी कंपनियों के साथ पार्टनरशिप में इन पनडुब्बियों को बनाने की मंजूरी दी है, उनमें रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, फ्रांस की नेवल ग्रुप-डीसीएनएस, जर्मनी की थायसेनक्रूप, स्पेन की नोवंटिया और दक्षिण कोरिया की डेइवू कंपनी शामिल है.