जूं मारने वाली दवा बनी कोविड-19 के मरीजों के लिए वरदान, मौत का खतरा होगा 80 फीसद तक कम

कोरोना महामारी के बीच फिलहाल पूरी दुनिया में इसको लेकर शोध किए जा रहे हैं। इसकी वैक्सीन तैयार करने की कोशिशें जारी हैं। इस बीच कोरोना के संभावित इलाज को लेकर कई दवाएं चर्चा में हैं। इसमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन, रेमेडेसिविर और आइवरमेक्टिन जैसी दवाएं शामिल हैं।

देश में फिलहाल कई राज्यों में एंटी पैरासिटिक ड्रग आइवरमेक्टिन का कोरोना के संभावित इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा है। अब इस दवा के इस्तेमाल को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने जरूरी फैसला किया है।

उन्होंने अन्य एंटी वायरल दवाइयों हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टोसिलिजुमाब का हवाला दिया. उनका कहना है कि महामारी के शुरू में मानव परीक्षण के नतीजों को उत्साहजनक बताया गया था. लेकिन बाद में दावा गलत साबित हुआ और दोनों दवाइयों के कोई फायदे सामने नहीं आए. आइवरमेक्टिन की खोज 1970 में की गई थी.

उसकी पहचान खुजली में स्ट्रोमेक्टोल के नाम से खाए जानेवाले टैबलेट की है और स्किन क्रीम के लिए सूलनट्रा कहा जाता है. सिर की जूं के इलाज में स्कलाइस के तौर पर पहचाना जाता है. दवा को इस साल अमेरिका में मंजूरी मिली थी. आज ब्रिटेन और अमेरिका में दवा को इन समस्याओं के लिखा जाता है, लेकिन कुछ वैज्ञानिकों का तर्क है ये कोविड-19 के खिलाफ भी मुफीद हो सकती है.

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